ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली पहली याचिका दायर करने का दावा करने वाले एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जताई कि मुद्दे पर दायर विभिन्न याचिकाओं में उनकी याचिका को शीर्ष पर सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) |
अदालत ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को याचिकाएं दायर करने की तारीख सत्यापित करने का निर्देश दिया और मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
मामले में एक याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एमएल शर्मा ने चीफ जस्टिस एनवी रमण, कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच के समक्ष इस मुद्दे को उठाया और कहा कि संबंधित याचिकाओं में उनकी याचिका को वाद सूची में शीर्ष की जगह नीचे सूचीबद्ध किया गया है।
मुद्दे पर कुल आठ याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें से कुछ में जांच एजेंसी के प्रमुख के रूप में संजय कुमार मिश्रा को एक साल का विस्तार दिए जाने को भी चुनौती दी गई है। सीजेआई ने शर्मा से कहा कि शीर्ष पर सूचीबद्ध याचिका का उल्लेख हाल में तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए किया गया था। बेंच ने कहा कि चूंकि उन्होंने इस मामले का जिक्र किया था इसलिए यह शीर्ष पर आया।
शर्मा ने अदालत को बताया कि शीर्ष पर सूचीबद्ध याचिका 2022 में दायर की गई है जबकि उन्होंने 2021 में याचिका दायर की थी। अदालत ने कहा कि आपकी याचिका नीचे आए या ऊपर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आप बहस करने के हकदार हैं। हम आपकी बात सुन रहे हैं। शर्मा ने कहा कि मामले में मुख्य याचिकाकर्ता कौन होगा-वह याचिकाकर्ता जिसने पहली याचिका दायर की है या वह जिसने आखिर में याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ता का नाम नहीं होना चाहिए, अन्यथा यह एक प्रतिस्पर्धा बन जाएगी कि कौन पहले याचिका दायर करता है। अदालत ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को याचिकाएं दायर करने की तारीख सत्यापित करने का निर्देश दिया और मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
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