ड्रैगन की नई चाल, हिंदी भाषा को बना रहा ढाल
भारत की बढ़ रही वैश्विक ताकत और गलवान घाटी में हिंद की सेना से पिटाई खाने के बाद ड्रैगन भारत की सैन्य ताकत से डरा हुआ है।
ड्रैगन की नई चाल, हिंदी भाषा को बना रहा ढाल |
चीन एक तरफ तो सैन्य स्तर पर वार्ता करता है तो दूसरी तरफ पिटाई का बदला लेने के लिए एलएसी पर सैन्य अभ्यास और विभिन्न प्रकार की हरकत कर भारत को डराने की कोशिश करता है। ड्रैगन भारतीय सेना की हर चाल और बोलचाल पकड़ने के लिए हिंदी समझ वाले तिब्बती को सेना में भर्ती का अभियान चला रहा है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के खिलाफ चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी तिब्बत और नेपाल से उन लोगों की भर्ती कर रही है जिसकी हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ हो ताकि वह खुफिया जानकारी हासिल कर सके। खुफिया सूत्रों के अनुसार इस भर्ती अभियान में तिब्बत ऑटोनोमस रिजन से सैन्य जिले के अधिकारी हिंदी ग्रेजुएट्स की तलाश में यूनिर्वसटिी का दौरा कर रहे हैं।
तिब्बत सैन्य जिला ड्रैगन की पीएलए सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड के अधीन है जो एलएसी के निचले हिस्से की देखरेख करता है, जिसमें भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम, अरु णाचल प्रदेश और साथ ही उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमांड द्वारा बड़े पैमाने पर शुरू किया गया यह भर्ती अभियान लगभग पूरा हो गया है। खुफिया को मिली जानकारी के मुताबिक ड्रैगन की लाल सेना पिछले साल सेना में तिब्बतियों को भर्ती करने के लिए अभियान चलाया था।
खुफि़या रिपोर्ट के अनुसार चीन की सेना ने यह शर्त रखी है कि रंगरूटों को हिंदी बोलने और उसकी समझ होनी चाहिए, ताकि उन्हें एलएसी में विभिन्न भूमिकाओं के लिए इंटरसेप्शन जॉब के लिए तैनात किया जा सकता है।
खुफि़या सूत्रों के मुताबिक इस समय चीन की सेना में करीब सात हजार से ज्यादा एक्टिव तिब्बती रक्षा बल हैं। इनमें से दो हजार पुरुष तिब्बती हैं, जिसमें सौ से ज्यादा युवा महिलाएं हैं। उन्हें स्पेशल तिब्बतन आर्मी यूनिट में नियुक्त किया गया है।
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