कांग्रेस ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले अधिकारों को लेकर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले की पृष्ठभूमि में बृहस्पतिवार को कहा कि इस एजेंसी और कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुरक्षा चक्र होना आवश्यक है।
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पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी कांग्रेस जांच एजेंसियों एवं कानूनों के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाती रहेगी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल तीन सदस्यीय खंडपीठ ने एक निर्णय दिया जो इस मायने में महत्वपूर्ण है कि यह पीएमएलए से जुड़ा है। इस कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई थी जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने सही ठहराया। इनमें से ज्यादातर प्रावधान 2018 में लाए गए थे।’’
सिंघवी का कहना था, ‘‘उच्चतम न्यायालय के प्रति हमारा पूरा आदर है। लेकिन मुख्य विपक्षी दल होने नाते हम वो इतिहास सामने रखना चाहते हैं जो ईडी की द्वेषपूर्ण कार्रवाई से संबंधित है। इस सरकार में यह एजेंसी पूरी तरह बदल गई और अपनी कानूनी हैसियत को भूल गई।’’
उनके अनुसार, ‘‘वर्ष 2004 से 14 के बीच ईडी ने 112 छापेमारी की। 2014-22 के दौरान छापेमारी की यह संख्या बढ़कर 3 हजार हो गई। इससे स्पष्ट है कि विरोधी नेताओं के खिलाफ इस एजेंसी और पीएमएलए कानून का हथियार के तौर पर दुरुपयोग करना इस सरकार की आदत बन गई।’’
सिंघवी ने दावा किया, ‘‘ईडी की 99 प्रतिशत कार्रवाई विरोधी दलों के नेताओं के खिलाफ हुई है। जिन विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई, अगर उन्होंने पाला बदल लिया तो उनके खिलाफ दर्ज मामले ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए हम यह विषय उठाते रहे हैं कि इन सबके विषय में कुछ सुरक्षा चक्र चाहिए ताकि एजेंसी और कानून का दुरुपयोग नहीं हो सके। हम यह मानते हैं कि यह सुरक्षा चक्र सिर्फ उच्चतम न्यायालय बना सकता है।’’
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले अधिकारों का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि धारा-19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार, मनमानी नहीं है।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रवि कुमार की पीठ ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है।
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