लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, राज्यसभा सभापति नायडू कल के हंगामे का जिक्र कर हुए भावुक
संसद के हंगामेदार मानसून सत्र के बीच राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू बुधवार को भावुक हो गए। उन्होंने सदन में विपक्ष के हंगामे को लेकर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि संसद में जो हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं।
नायडू कल के हंगामे का जिक्र कर हुए भावुक |
उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकेया नायडू ने कल की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि कल जो कुछ सदन में हुआ, उसकी निंदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए।
विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा आसन के समक्ष आ कर हंगामा किए जाने का संदर्भ देते हुए सभापति ने कहा कि संसदीय परंपराओं को ताक पर रखने के लिए मानो होड़ सी मची हुई है। उन्होंने कहा कि कल जो अप्रिय घटना हुई, उस समय सदन में कृषि क्षेत्र की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा हो रही थी जो एक महत्वपूर्ण विषय है। नायडू ने हंगामे का संदर्भ देते हुए कहा कि सदस्य सरकार को अपनी मांग को लेकर बाध्य नहीं कर सकते।
सभापति अपनी बात कह रहे थे, इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने अपने अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के चलते सभापति ने बैठक शुरू होने के करीब पांच मिनट बाद ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि कल मंगलवार को, दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब बैठक पुन: शुरू हुई तो पेगासस जासूसी विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर अड़े विपक्षी सदस्यों का सदन में हंगामा फिर शुरू हो गया। हंगामे के बीच ही पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने ‘‘देश में कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान’’ पर अल्पकालिक चर्चा शुरू कराई। इसी दौरान विपक्षी दलों के कुछ सदस्य आधिकारिक मेज पर चढ़ गए, उन्होंने काले कपड़े लहराए और कुछ दस्तावेज फेंके।
आधिकारिक मेज पर राज्यसभा के महासचिव, अधिकारी और रिपोटर काम करते हैं। कल भी घटना के दौरान ये लोग वहीं काम कर रहे थे।
सदन में अव्यवस्था के चलते पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने दो बज कर 17 मिनट पर बैठक पंद्रह मिनट के लिए स्थगित कर दी थी। पंद्रह मिनट बाद उन्होंने हंगामे के चलते बैठक और आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी थी।
आधे घंटे बाद यानी दोपहर करीब तीन बजे बैठक जब फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने घोषणा की कि उपसभापति ने विभिन्न दलों के नेताओं को विचारविमर्श के लिए अपने कक्ष में आमंत्रित किया है। इसके बाद उन्होंने बैठक को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद जब चार बजे उच्च सदन की बैठक पुन: शुरू हुई तो हंगामे के बीच, कालिता ने बैठक को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया था।
लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिये स्थगित
संसद के मॉनसून सत्र के लिए लोकसभा की बैठक बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। पेगासस जासूसी मामला, तीन केंद्रीय कृषि कानून को वापस लेने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के शोर-शराबे के कारण पूरे सत्र में सदन में कामकाज बाधित रहा और सिर्फ 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन हुआ।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुबह कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘सदन में कामकाज अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा।’’
बिरला ने बताया कि व्यवधान के कारण 96 घंटे में करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘निरंतर व्यवधान के कारण महज 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन रहा।’’ उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान संविधान (127वां संशोधन) विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किये गए। चार नये सदस्यों ने शपथ ली।
बिरला ने बताया कि मॉनसून सत्र के दौरान 66 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गए और सदस्यों ने नियम 377 के तहत 331 मामले उठाये। उन्होंने कहा कि इस दौरान विभिन्न स्थायी समितियों ने 60 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये, 22 मंत्रियों ने वक्तव्य दिये और काफी संख्या में पत्र सभापटल पर रखे गए।
उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान अनेक वित्तीय एवं विधायी कार्य निष्पादित किये गए।
इससे पहले बिरला ने सदन को चार पूर्व सदस्यों के निधन की जानकारी दी और उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के वक्तव्य के बाद वंदे मातरम की धुन बजाई गयी और सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
सदन में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित अनेक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं अन्य सदस्य मौजूद थे।
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