‘राष्ट्र सर्वप्रथम, हमेशा सर्वप्रथम’ के मंत्र के साथ ही हमें आगे बढ़ना है: मोदी

Last Updated 25 Jul 2021 02:24:19 PM IST

‘‘राष्ट्र सर्वप्रथम, हमेशा सर्वप्रथम’’ के मंत्र पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आह्वान किया कि ऐसे समय में जब देश आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है, हर भारतीय को महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए ‘‘भारत छोड़ो आंदोलन’’ की तर्ज पर ‘‘भारत जोड़ो आंदोलन’’ का नेतृत्व करना है।


प्रधानमंत्री मोदी

उन्होंने कहा कि आजादी की 75वीं वषर्गांठ पर मनाया जा रहा ‘‘अमृत महोत्सव’’ कार्यक्रम ना तो किसी सरकार का या फिर किसी राजनीतिक दल का है बल्कि देश की जनता का है।

आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ की 79वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आह्वान किया कि जिस प्रकार देश की आजादी के लिए सभी लोग एकजुट हो गए थे उसी प्रकार सभी को देश के विकास के लिए भी एकजुट होना है।
उन्होंने कहा कि इस साल 15 अगस्त को देश आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है और जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने की आज की पीढी साक्षी बन रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है जिसकी मूल भावना अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना और उनके सपनों का देश बनाना है।

उन्होंने कहा, ‘‘अमृत महोत्सव किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं, यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है। जैसे, देश की आजादी के मतवाले, स्वतंत्रता के लिए एकजुट हो गए थे, वैसे ही हमें देश के विकास के लिए एकजुट होना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बापू के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चला था, वैसे ही आज हर देशवासी को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ का नेतृत्व करना है। ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपना काम ऐसे करें जो विविधताओं से हमारे भारत को जोड़ने में मददगार हो।’’
उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘तो आइए, हम ‘अमृत महोत्सव’ को यह अमृत संकल्प लें कि देश ही हमारी सबसे बड़ी आस्था, सबसे बड़ी प्राथमिकता बना रहेगा। ‘राष्ट्र सर्वप्रथम, हमेशा सर्वप्रथम’ के मंत्र के साथ ही हमें आगे बढ़ना है।’’
आजादी की 75वीं वषर्गांठ के अवसर पर देश भर में मनाए जा रहे कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा ही एक आयोजन 15 अगस्त को राष्ट्रगान को लेकर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मंत्रालय की कोशिश है कि इस दिन ज्यादा-से-ज्यादा भारतवासी मिलकर राष्ट्रगान गाएं और इसके लिए ‘‘राष्ट्रगानडॉटइन’’ नामक एक वेबसाइट भी बनाई गई है।
उन्होंने देशवासियों से इस अभियान से जुड़ने की अपील भी की और कहा कि इसी तरह के बहुत सारे अभियान तथा बहुत सारे प्रयास आने वाले दिनों में और देखने को मिलेंगे।      प्रधानमंत्री ने तोक्यो ओलंपिक का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हाथों में तिरंगा लेकर भारतीय दल को वहां उन्होंने चलते देखा तो पूरा देश गौरवान्वित हो गया। पिछले दिनों खिलाड़ियों से अपने संवाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों ने कई चुनौतियों और संकट का सामना करने के बाद ओलंपिक दल में अपनी जगह बनाई। उन्होंने देशवासियों से ओलंपिक खिलाड़ियों का हौसला बढाने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से देश के लिए काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसमें छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े नतीजे ला देते हैं। ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ यानी स्थानीय उत्पादों को बढाना देने और ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान को मजबूत करने के लिए, उन्होंने कहा, ‘‘रोज के काम काज करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं। हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, कलाकारों, शिल्पकारों, बुनकरों को सहयोग करना हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि सात अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के मौके पर प्रयासपूर्वक भी यह काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के साथ बहुत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जुड़ी हुई है। इसी दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी।’’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर खादी का भी उल्लेख किया और कहा कि खादी खरीदना एक तरह से जन-सेवा और देश-सेवा भी है।
उन्होंने कारगिल विजय दिवस की 22वीं वषर्गांठ के मद्देनजर देशवासियों से कारगिल की रोमांचक कहानी पढने की अपील करते हुए कहा कि यह युद्ध हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और अनुशासन का ऐसा प्रतीक है जिसे पूरी दुनिया ने देखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार यह गौरवशाली दिवस भी ‘अमृत महोत्सव’ के बीच में मनाया जाएगा। इसलिए यह और भी खास हो जाता है। मैं चाहूंगा कि आप कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरुर पढ़ें, कारगिल के वीरों को हम सब नमन करें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम में संदेश व सुझाव भेजने वालों में 75 प्रतिशत तादाद ऐसे युवाओं की है जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है और यह एक ऐसा माध्यम है जहां सकारात्मकता एवं संवेदनशीलता है तथा जिसका चरित्र ‘‘सामूहिक’’ है।
उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ के श्रोताओं को लेकर एक अध्ययन किया गया जिसमें यह बात सामने आई कि संदेश व सुझाव भेजने वालों में करीब 75 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘यानी, भारत की युवा शक्ति के सुझाव ‘मन की बात’ को दिशा दे रहे हैं। मैं इसे बहुत अच्छे संकेत के रूप में देखता हूं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘मन की बात एक ऐसा माध्यम है, जहां सकारात्मकता है..संवेदनशीलता है। इसमें हम सकारात्मक बातें करते हैं। इसका चरित्र सामूहिक है। सकारात्मक विचारों और सुझावों के लिए भारत के युवाओं की यह सक्रियता मुझे आनंदित करती है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे युवाओं के मन को भी जानने का अवसर मिलता है।’’
उल्लेखनीय है कि ‘मन की बात’ को लेकर विपक्षी दल प्राय: आरोप लगाते हैं कि इसमें प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ होती है और जनता के ‘मन की बात’ को प्रमुखता नहीं दी जाती।
प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे अभिनव प्रयोगों के बारे में श्रोताओं को बताया और साथ ही जल संरक्षण की भी अपील की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलाडियों का हौसला बढ़ाने के लिए देश में चल रहे अभियान की भी जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा, टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलते देखकर मैं ही नहीं पूरा देश रोमांचित हो उठा। दो दिन पहले की कुछ अद्भुत तस्वीरें, कुछ यादगार पल, अब भी मेरी आँखों के सामने हैं, इसलिए, इस बार 'मन की बात' की शुरूआत उन्ही पलों से करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "पूरे देश ने, जैसे, एक होकर अपने इन योद्धाओं से कहा -विजयी भव ! विजयी भव। उन्होंने कहा कि जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे, तो, मुझे इनसे गप-शप करने का, उनके बारे में जानने और देश को बताने का अवसर मिला था।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "ये खिलाड़ी, जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करते हुए यहाँ पहुंचे हैं। आज उनके पास, आपके प्यार और सपोर्ट की ताकत है - इसलिए, आइए मिलकर अपने सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएँ, उनका हौसला बढ़ाएं।"



प्रधानमंत्री ने कहा, "सोशल मीडिया पर ओलंपिक्स खिलाड़ियों के स्पोर्ट्स के लिए हमारा विक्ट्री पंच कैम्पेन अब शुरू हो चुका है। आप भी अपनी टीम के साथ अपना विक्ट्री पंच शेयर करिए और इंडिया के लिए चियर करिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात करते हुए कहा, "साथियो, जो देश के लिए तिरंगा उठाता है उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना, स्वाभाविक ही है। देशभक्ति की ये भावना, हम सबको जोड़ती है।"

ओडिया के यूट्यूबर इसाक मुंडा की तारीफ की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने 79 वें 'मन की बात' कार्यक्रम में ओडिया दिहाड़ी मजदूर इसाक मुंडा की प्रशंसा की, जो एक यूट्यूबर बन गए हैं। मुंडा (35) ओडिशा के संबलपुर जिले के जुजुमुरा ब्लॉक के अंतर्गत बाबूपाली गांव का एक दिहाड़ी मजदूर है। अपनी भूख से ध्यान भटकाने के लिए यूट्यूब वीडियो देखने वाला शख्स अब यूट्यूब स्टार बन गया है और लाखों रुपए कमा रहा है।

इसाक मुंडा की संघर्ष कहानी के बारे में बताते हुए मोदी ने कहा, "इसाक जी कभी दिहाड़ी का काम करते थे लेकिन अब वह इंटरनेट सनसनी बन गए हैं। मुंडा अपने यूट्यूब चैनल के जरिए खूब कमाई कर रहे हैं। अपने वीडियो में वह स्थानीय व्यंजनों, खाना पकाने के पारंपरिक तरीके, उनका गांव, उनकी जीवन शैली, परिवार और खाने की आदतें को प्रमुखता से दिखाते हैं।"

मोदी ने कहा, "एक यूट्यूबर के रूप में मुंडा की यात्रा मार्च 2020 में शुरू हुई जब उन्होंने ओडिशा के प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन पाखल से संबंधित एक वीडियो पोस्ट किया। तब से, उन्होंने कई वीडियो पोस्ट किए हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "उनका प्रयास कई कारणों से अलग है। विशेष रूप से, क्योंकि इसके माध्यम से शहरों में रहने वाले लोगों को जीवन शैली देखने का मौका मिलता है, जिसके बारे में वे ज्यादा नहीं जानते हैं। इसाक मुंडा जी संस्कृति और व्यंजनों को समान रूप से सम्मिश्रण करके हमें भी प्रेरित कर रहे हैं।"

भूख के लिए संघर्ष करते हुए, मुंडा ने अपना पहला स्मार्टफोन खरीदने और उबले हुए चावल और कुछ करी खाते हुए अपने वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए लगभग 3,000 रुपये उधार लिए थे। उसके बाद, उन्होंने यूट्यूब पर स्वास्थ्य जांच से संबंधित पिछले एक सहित कई वीडियो अपलोड किए और लाखों रुपये कमाए। इसाक के चैनल, 'इसाक मुंडा ईटिंग' के 7.77 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं।

हेंडलम की वस्तुएं लोग खरीदें
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सात अगस्त को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय हेंडलम दिवस की याद दिलाते हुए रविवार को कहा कि लोगों को हेंडलम की वस्तुएं जरूर खरीदनी चाहिए।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर सी मन की बात कार्यक्रम में कहा कि शिल्पकारों, बुनकरों को समर्थन करना, हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए। सात अगस्त को आने वाला नेशनल हेंडलम दिवस एक ऐसा अवसर है जब हम प्रयास पूर्वक भी ये काम कर सकते हैं। इस दिवस के साथ बहुत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जुड़ी हुई है। इसी दिन, 1905 में, स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में हेंडलम कमाई का बहुत बड़ा साधन है। ये ऐसा क्षेा है जिससे लाखों महिलाएं, लाखों बुनकर, लाखों शिल्पी जुड़े हुए हैं। आपके छोटे-छोटे प्रयास, बुनकरों में एक नई उम्मीद जगाएँगे। आप, स्वयं कुछ-न-कुछ खरीदें, और अपनी बात दूसरों को भी बताएं और जब हम आादी के 75 साल मना रहे हैं, तब तो, इतना करना हमारी जिम्मेदारी बनती ही है।
उन्होंने कहा कि साल 2014 के बाद से ही ‘मन की बात’ में हम अक्सर खादी की बात करते हैं। ये आपका ही प्रयास है, कि, आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है। क्या कोई सोच सकता था कि खादी के किसी स्टोर से एक दिन में एक करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री हो सकती है! लेकिन, आपने, ये भी कर दिखाया है। आप जब भी कहीं पर खादी का कुछ खरीदते हैं, तो इसका लाभ, हमारे गरीब बुनकर भाइयो- बहनों को ही होता है। इसलिए, खादी खरीदना एक तरह से जन-सेवा भी है, देश-सेवा भी है।

पंद्रह अगस्त को ज्यादा से ज्यादा लोग गाएं राष्ट्रगान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी 15 अगस्त को अधिक से अधिक लोगों राष्ट्रगान गाने के लिए आह्वान किया।
श्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम में मन की बात में रविवार को कहा कि इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है। ये हमारा बहुत बड़ा सौभाज्ञ है कि जिस आादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं। आपको याद होगा, आादी के 75 साल मनाने के लिए, 12 मार्च को बापू के साबरमती आश्रम से ‘अमृत महोत्सव’ की शुरुआत हुई थी। इसी दिन बापू की दांडी या को भी पुनर्जीवित किया गया था, तब से, जम्मू-कश्मीर से लेकर पुडुचेरी तक, गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक, देश भर में ‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव से कई ऐसी घटनाएँ, ऐसे स्वाधीनता सेनानी, जिनका योगदान तो बहुत बड़ा है, लेकिन उतनी चर्चा नहीं हो पाई - आज लोग, उनके बारें में भी जान पा रहे हैं। मणिपुर का छोटा सा क़स्बा मोइरांग, कभी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) का एक प्रमुख ठिकाना था। यहाँ, आादी के पहले ही, आईएनए के कर्नल शौकत मलिक ने झंडा फहराया था। ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान 14 अप्रैल को उसी मोइरांग में एक बार फिर तिरंगा फहराया गया। ऐसे कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें ‘अमृत महोत्सव’ में देश याद कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक आयोजन इस बार 15 अगस्त को होने जा रहा है, ये एक प्रयास है - राष्ट्रगान से जुड़ा हुआ। सांस्कृतिक मांलय की कोशिश है कि इस दिन ज्यादा-से-ज्यादा भारतवासी मिलकर राष्ट्रगान गाएँ, इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है - राष्ट्रगानडॉटइन। इस वेबसाइट की मदद से आप राष्ट्रगान गाकर, उसे रिकॉर्ड कर पाएंगे, इस अभियान से जुड़ पाएंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है, आप, इस अनोखी पहल से जरूर जुड़ेंगे। इसी तरह के बहुत सारे अभियान, बहुत सारे प्रयास, आपको, आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। ‘अमृत महोत्सव’ किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं, यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है। हर स्वतां और कृतज्ञ भारतीय का अपने स्वतांता सेनानियों को नमन है और इस महोत्सव की मूल भावना का विस्तार तो बहुत विशाल है - ये भावना है, अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना, उनके सपनों का देश बनाना। देश की आजादी के मतवाले, स्वतांता के लिए जिस प्रकार एकजुट हो गए थे, वैसे ही, हमें, देश के विकास के लिए एकजुट होना है। हमें देश के लिए जीना है, देश के लिए काम करना है, और इसमें, छोटे- छोटे प्रयास भी बड़े नतीजे ला देते हैं।

कारगिल वीरों को याद किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल के वीरों को नमन करने का आवान करते हुए कहा कि देशभक्ति की भावना हम सबको जोड़ती है।
श्री मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में रविवार को कहा कि जो देश के लिए तिरंगा उठाता है उसके सम्मान में भावनाओं से भर जाना स्वाभाविक ही है। देशभक्ति की यह भावना, हम सबको जोड़ती है।
उन्होंने कहा कि 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ है। कारगिल का युद्ध, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम का ऐसा प्रतीक है, जिसे, पूरी दुनिया ने देखा है। इस बार ये गौरवशाली दिवस भी ‘अमृत महोत्सव’ के बीच में मनाया जाएगा इसलिए, यह और भी खास हो जाता है। मैं चाहूँगा कि आप कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरुर पढ़ें और कारगिल के वीरों को हम सब नमन करें।

मणिपुर में सेब की पैदावार से मोदी खुश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मणिपुर में सेब की पैदावार पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि युवाओं के कुछ नया करने के जज्बे से ऐसा हो सका है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में कहा कि लोग आम तौर पर हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में सेब के बाग की बात जानते हैं। इस सूची में मणिपुर को भी जोड़ दीजिये तो शायद आप आश्चर्य से भर जाएंगे। कुछ नया करने के जा्बे से भरे युवाओं ने मणिपुर में ये कारनामा कर दिखाया है। आजकल मणिपुर के उखरुल जिले में, सेब की खेती जोर पकड़ रही है। यहाँ के किसान अपने बागानों में सेब उगा रहे हैं। सेब उगाने के लिए इन लोगों ने बाकायदा हिमाचल जाकर प्रशिक्षण भी लिया है। इन्हीं में से एक हैं टी एस रिंगफामी योंग। ये पेशे से एयरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती टी.एस. एंजेल के साथ मिलकर सेब की पैदावार की है। इसी तरह, अवुन्गशी शिमरे ऑगस्टीना ने भी अपने बागान में सेब का उत्पादन किया है। अवुन्गशी दिल्ली में काम करती थीं। इसे छोड़ कर वो अपने गाँव लौट गईं और सेब की खेती शुरू की। मणिपुर में आज ऐसे कई सेब उत्पादक हैं, जिन्होंने कुछ अलग और नया करके दिखाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदाय में, बेर बहुत लोकप्रिय रहा है। आदिवासी समुदायोँ के लोग हमेशा से बेर की खेती करते रहे हैं। लेकिन कोविड महामारी के बाद इसकी खेती विशेष रूप से बढ़ती जा रही है। त्रिपुरा के उनाकोटी  के ऐसे ही 32 साल के युवा बिक्रमजीत चकमा है। उन्होंने बेर की खेती की शुरुआत कर काफ़ी मुनाफ़ा भी कमाया है और अब वो लोगों को बेर की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे है। राज्य सरकार भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आई है। सरकार द्वारा इसके लिए कई विशेष नर्सरी बनाई गई हैं ताकि बेर की खेती से जुड़े लोगों की माँग पूरी की जा सके।

सुझाव के लिए युवाओं का जताया आभार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं का आभार जताते हुए कहा कि भारत की युवा शक्ति के सुझाव ‘मन की बात’ को दिशा दे रहे हैं।
श्री मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में रविवार को कहा‘‘मैं ‘मन की बात’ सुन रहे मेरे युवा साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। अभी कुछ दिन पहले ही, माईगोव की ओर से ‘मन की बात’ के श्रोताओं को लेकर एक अध्ययन की गई थी। इस अध्ययन में ये देखा गया कि ‘मन की बात’ के लिए सन्देश और सुझाव भेजने वालों में प्रमुखत: कौन लोग हैं। इसके बाद ये जानकारी सामने आई कि संदेश और सुझाव भेजने वालों में से करीब-करीब 75 प्रतिशत लोग, 35 वर्ष की आयु से कम के होते हैं यानि भारत की युवा शक्ति के सुझाव ‘मन की बात’ को दिशा दे रहे हैं। मैं इसे बहुत अच्छे संकेत के रूप में देखता हूँ।
उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ एक ऐसा माध्यम है जहाँ सकारात्मकता है, संवेदनशीलता है। ‘मन की बात’ में हम सकारात्मक बातें करते हैं। सकारात्मक विचारों और सुझावों के लिए भारत के युवाओं की ये सक्रियता मुझे आनंदित करती है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे युवाओं के मन को भी जानने का अवसर मिलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप लोगों से मिले सुझाव ही ‘मन की बात’ की असली ताकत हैं। आपके सुझाव ही ‘मन की बात’ के माध्यम से भारत की विविधता को प्रकट करते हैं, भारतवासियों के सेवा और त्याग की खुशबू को चारों दिशाओं में फैलाते हैं, हमारे मेहनतकश युवाओं के नवाचार सब को प्रेरित करते हैं। ‘मन की बात’ में आप कई तरह के सुझाव भेजते हैं। हम सभी पर तो नहीं चर्चा कर पाते हैं, लेकिन उनमें से बहुत से सुझावों को मैं सम्बंधित विभागों को जरुर भेजता हूँ ताकि उन पर आगे काम किया जा सके।

केले से कमाई अदभुत और आश्चर्यजनक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केले के रेशे से कमाई और इसके आटे से मिठाई बनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में कहा कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किए गए एक प्रयास के बारे में भी पता चला है। कोविड के दौरान ही लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है। वहाँ महिलाओं को केले के बेकार तनों से रेशे बनाने का प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया गया। केले के तने को काटकर मशीन की मदद से बनाना फाइबर तैयार किया जाता है जो जूट या सन की तरह होता है। इस रेशे से हेंडबेग, चटाई, दरी, कितनी ही चीजें बनाई जाती हैं। इससे एक तो फसल के कचरे का इस्तेमाल शुरू हो गया, वहीँ दूसरी तरफ गाँव में रहने वाली हमारी बहनों-बेटियों को आय का एक और साधन मिल गया। बनाना फाइबर के इस काम से एक स्थानीय महिला को चार सौ से छह सौ रुपये प्रतिदिन की कमाई हो जाती है। लखीमपुर खीरी में सैकड़ों एकड़ जमीन पर केले की खेती होती है। केले की फसल के बाद आम तौर पर किसानों को इसके तने को फेंकने के लिए अलग से खर्च करना पड़ता था। अब उनके ये पैसे भी बच जाते है यानि -आम के आम, गुठलियों के दाम- यह कहावत यहाँ बिल्कुल सटीक बैठती है।
उन्होंने कहा कि केले के आटे से डोसा और गुलाब जामुन जैसे स्वादिष्ट व्यंजन भी बन रहे हैं। कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ और दक्षिण कन्नड़ जिलों में महिलाएं यह अनूठा कार्य कर रही हैं। ये शुरुआत भी कोरोना काल में ही हुई है। इन महिलाओं ने न सिर्फ केले के आटे से डोसा, गुलाब जामुन जैसी चीजें बनाई बल्कि इनकी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा भी किया है। जब ज्यादा लोगों को केले के आटे के बारे में पता चला तो उसकी मांग भी बढ़ी और इन महिलाओं की आमदनी भी।

लोग पानी की एक-एक बूंद बचाएं
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण पर रविवार को एक बार फिर जोर देते हुए कहा कि इसका एक-एक बूंद बचाया जाना चाहिए।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में कहा कि मेरा बचपन जहाँ गुजरा, वहाँ पानी की हमेशा से किल्लत रहती थी। हम लोग बारिश के लिए तरसते थे और इसलिए पानी की एक-एक बूँद बचाना हमारे संस्कारों का हिस्सा रहा है। अब ‘‘जन भागीदारी से जल संरक्षण’’ इस मां ने वहाँ की तस्वीर बदल दी है। पानी की एक-एक बूँद को बचाना, पानी की किसी भी प्रकार की बर्बादी को रोकना, यह हमारी जीवन शैली का एक सहज हिस्सा बन जाना चाहिए। हमारे परिवारों की ऐसी परंपरा बन जानी चाहिए, जिससे हर एक सदस्य को गर्व हो।
उन्होंने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा भारत के सांस्कृतिक जीवन में, हमारे दैनिक जीवन में, रचा बसा हुआ है। वहीं, बारिश और मानसून हमेशा से हमारे विचारों, हमारी फिलोसोसोफी और हमारी सभ्यता को आकार देते आए हैं। ऋतुसंहार और मेघदूत में महाकवि कालिदास ने वष्रा को लेकर बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। साहित्य प्रेमियों के बीच ये कवितायें आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। ऋग्वेद के पर्जन्य सुक्तम में भी वष्रा के सौन्दर्य का खूबसूरती से वर्णन है। इसी तरह, श्रीमद् भागवत में भी काव्यात्मक रूप से पृथ्वी, सूर्य और वष्रा के बीच के संबंधों को विस्तार दिया गया है।
सूर्य ने आठ महीने तक जल के रूप में पृथ्वी की संपदा का दोहन किया था, अब मानसून के मौसम में, सूर्य, इस संचित संपदा को पृथ्वी को वापिस लौटा रहा है। वाकई, मानसून और बारिश का मौसम सिर्फ खूबसूरत और सुहाना ही नहीं होता बल्कि यह पोषण देने वाला, जीवन देने वाला भी होता है। वष्रा का पानी जो हमें मिल रहा है वो हमारी भावी पीढ़ियों के लिए है, ये हमें कभी भूलना नहीं चाहिए।

कोविड टीका लगवाने वाले को मुफ्त छोले भटूरे खिलाने वाले की सराहना की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड टीका लगवाने वालों को मुफ्त छोले भटूरे खिलाने वाले फूड स्टॉल चलाने वाले की सराहना की है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर आज मन की बात कार्यक्रम में चंडीगढ़ शहर की खूबसूरती की सराहना करते हुए कहा, ‘‘चंडीगढ़ में, मैं भी, कुछ वर्षों तक रह चुका हूँ। यह बहुत खुशमिजाज और खुबसूरत शहर है। यहाँ रहने वाले लोग भी दिलदार हैं और हाँ, अगर आप खाने के शौक़ीन हो, तो यहाँ आपको और आनंद आएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी चंडीगढ़ के सेक्टर 29 में संजय राणा जी फूड स्टॉल आइडिया चलाते हैं और साईकिल पर छोले-भटूरे बेचते हैं। एक दिन उनकी बेटी रिद्धिमा और भतीजी रिया एक आइडिया के साथ उनके पास आई। दोनों ने उनसे कोविड टीका लगवाने वालों को फ्री में छोले-भटूरे खिलाने को कहा। वे इसके लिए खुशी-खुशी तैयार हो गए, उन्होंने, तुरंत ये अच्छा और नेक प्रयास शुरू भी कर दिया। संजय राणा जी के छोले-भटूरे मुफ़्त में खाने के लिए आपको दिखाना पड़ेगा कि आपने उसी दिन टीका लगवाया है। टीके का संदेश दिखाते ही वे आपको स्वादिष्ट छोले-भटूरे दे देंगे। कहते हैं, समाज की भलाई के काम के लिए पैसे से ज्यादा, सेवा भाव, कर्तव्य भाव की ज्यादा आवश्यकता होती है। हमारे संजय भाई, इसी को सही साबित कर रहे हैं।’’
उन्होंने तमिलनाडु के नीलगिरी में वहाँ राधिका शासी जी के एम्बुरेक्स प्रोजेक्ट की शुरुआत की चर्चा करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट का मकसद है, पहाड़ी इलाकों में मरीजों को इलाज के लिए आसान ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराना। राधिका कून्नूर में एक कैफे चलाती हैं। उन्होंने अपने साथियों की मदद से पूंजी जुटाई। नीलगिरी पहाड़ियों पर आज छह एम्बुरेक्स सेवारत हैं और दूरदरा के हिस्सों में इमरजेंसी के समय मरीजों के काम आ रही हैं।

नई तकनीक के आवास मजबूत और आकर्षक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि नई तकनीक से बनाए जा रहे आवास न केवल जल्दी तैयार होते है बल्कि ये मजबूत भी होते है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में कहा कि आईआईटी मद्रास के एलुमनी द्वारा स्थापित एक स्टार्ट अप  ने एक 3डी प्रिंट्रेड हाउस  बनाया है। 3डी प्रिंट्रिंग करके घर का निर्माण, आखिर ये हुआ कैसे ? दरअसल इस स्टार्टअप ने सबसे पहले 3डी प्रिंट्रर में एक, 3 डाइमेंसनल डिजाइन  को फीड किया और फिर एक विशेष प्रकार के कॉन्क्रीट के माध्यम से लेयर बाय लेयर एक 3डी स्ट्रश्रर फैब्रिकेट कर दिया। देशभर में इस प्रकार के कई प्रयोग हो रहे हैं। एक समय था जब छोटे-छोटे निर्माण के काम में भी वर्षों लग जाते थे। लेकिन आज तकनीक की वजह से भारत में स्थिति बदल रही है। कुछ समय पहले  दुनियाभर की ऐसी कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए एक ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज लॉन्च  किया था। ये देश में अपनी तरह का अलग तरह का अनोखा प्रयास है, इसलिए इन्हें लाइट हाउस प्रोजेक्ट का नाम दिया। फिलहाल देश में 6 अलग-अलग जगहों पर इस पर तेजी से काम चल रहा है। इससे निर्माण का समय  कम हो जाता है। साथ ही, जो घर बनते हैं वो अधिक टिकाऊ, किफायती और आरामदायक होते हैं।
इंदौर के प्रोजेक्ट में ईंट और मोर्टार वॉल्स की जगह प्री फैब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। राजकोट में लाइट हाउस फ्रेंच टेक्नोलॉजी से बनाए जा रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी से बने घर आपदाओं का सामना करने में कहीं अधिक सक्षम होंगे। चेन्नई में, अमेरिका और फिनलैंड की तकनीकों, प्रि कास्ट क्रंकीट सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। इससे मकान जल्दी भी बनेंगे और लागत भी कम आएगी। रांची में जर्मनी के थ्री डी कंस्ट्रक्शन सिस्टम का प्रयोग करके घर बनाए जाएंगे। इसमें हर कमरे को अलग से बनाया जाएगा, फिर पूरे ढांचे को उसी तरह जोड़ा जाएगा, जैसे ब्लाक टॉयज को जोड़ा जाता है। अगरतला में न्यूजीलैंड की तकनीक का उपयोग कर स्टील फ्रेम के साथ मकान बनाए जा रहे हैं, जो बड़े भूकंप को झेल सकते हैं। वहीं लखनऊ में कनाडा की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें प्लास्टर और पेंट की जरुरत नहीं होगी और तेजी से घर बनाने के लिए पहले से ही तैयार दीवारों का प्रयोग किया जाएगा।
 

आईएएनएस/वार्ता
नई दिल्ली


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