कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन तेज, जंतर-मंतर पहुंचे प्रदर्शनकारी

Last Updated 22 Jul 2021 10:31:28 AM IST

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसान संगठन आज गुरुवार को कड़ी सुरक्षा के बीच जंतर-मंतर पहुंचे और इस कानून के खिलाफ अपना आंदोलन तेज किया।


केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान नारे लगाते हुए धरना स्थल पर पहुंचे। किसान उन बसों में पहुंचे, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने कोविड के नियमों का पालन करते हुए समग्र सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एस्कॉर्ट किया था।

 



जंतर-मंतर के आसपास गुरुवार सुबह से ही पुलिसकर्मियों की भारी तैनाती देखी गई है।


पुलिस की सुरक्षा के साथ 200 किसानों का एक समूह बसों में सिंघू बॉर्डर से जंतर-मंतर पहुंचे। किसान यहां अपनी पहचान उगागर करने वाले बैज पहने और हाथ में अपनी यूनियनों के झंडे लिए हुए नजर आए। प्रदर्शन पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होना था, लेकिन किसान यहां 12 बजकर 25 मिनट पर पहुंचे।     

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने बताया कि रास्ते में पुलिस ने उन्हें तीन जगह रोका और उनके आधार कार्ड देखे। जंतर-मंतर पर किसानों ने नारेबाजी की और सरकार से तीनों कानून रद्द करने की मांग की। प्रदर्शन कर रहे किसान जंतर-मंतर के एक छोटे से हिस्से में मौजूद हैं और पुलिस ने दोनों ओर अवरोधक लगा रखे हैं।     

कांग्रेस के सांसदों ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए गुरूवार को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। संसद भवन में परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष आयोजित इस प्रदर्शन में कांग्रेस के दोनों सदनों के कई सदस्यों ने हिस्सा लिया।     

 

राहुल गांधी के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी, गौरव गोगोई, रवनीत बिट्टू, राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और कई अन्य सांसद इस धरने में शामिल हुए। कांग्रेस सांसदों ने ‘काले कानून वापस लो’ और ‘प्रधानमंत्री न्याय करो’ के नारे लगाए।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोविड के उचित व्यवहार को बनाए रखते हुए किसानों को 'किसान संसद' आयोजित करने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली पुलिस ने 22 जुलाई से 9 अगस्त तक केवल 200 किसानों को धरना स्थल पर इकट्ठा होने की अनुमति दी है।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को इस बारे में एक शपथपत्र देने के लिए कहा गया है, जिसमें कहा जाए कि कोविड-19 के सभी नियमों का पालन किया जाएगा और आंदोलन शांतिपूर्ण होगा। इस साल 26 जनवरी को एक ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद यह पहली बार है, जब अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों को शहर में प्रवेश की अनुमति दी है।     

गौरतलब है कि दिल्ली से लगे टिकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर तथा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवम्बर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसान हितैषी हैं। सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है।

भाषा/आईएएनएस
नई दिल्ली


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