तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा 86 वर्ष के हुए, कहा- प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्वीवित करने के लिए प्रतिबद्ध
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने मंगलवार को अपने 86वें जन्मदिन पर कहा कि उन्होंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का पूरा लाभ लिया और वह प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
86 के हुए दलाई लामा (file photo) |
धर्मशाला में अपने आवास से डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए तिब्बती धार्मिक नेता ने उन्हें जन्मदिन पर दुनियाभर से बधाई देने वाले लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह मानवता की सेवा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। दलाई लामा का वास्तविक नाम तेनजिन ग्यात्सो है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब से मैं शरणार्थी बना और भारत में शरण ली, तब से मैंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का भरपूर लाभ लिया। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि अपने शेष जीवन में भी मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनजीर्वित करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा।’’
दलाई लामा ने कहा, ‘‘मैं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों जो धर्म पर आश्रित नहीं है, ऐसी ईमानदारी, करुणा और अहिंसा के भारतीय विचार का वाकई में सराहना करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब यही मेरा जन्मदिन है, मैं अपने उन सभी मित्रों का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मेरे प्रति वाकई में प्यार, सम्मान और विश्वास दिखाया...। मैं आपको भरोसा दे सकता हूं कि मैं मानवता की सेवा और जलवायु परिवर्तन की रक्षा के लिए काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हूं।’’
दलाई लामा ने लोगों से अहिंसा का पालन करने और एक दूसरे के प्रति करुणा का भाव रखने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी मृत्यु तक अहिंसा और करुणा के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा। यह मेरी ओर से मेरे मित्रों को भेंट है। मेरे सभी भाइयों और बहनों को इन दो बातों को ध्यान में रखना चाहिए - अहिंसा और करुणा... मेरे जन्मदिन पर, यही मेरा उपहार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ एक इंसान हूं। बहुत से लोग मेरे प्रति वास्तव में अपना प्रेम दर्शाते हैं। और बहुत से लोग वास्तव में मेरी मुस्कान से प्यार करते हैं। मेरी बढ़ती उम्र के बावजूद मेरा मैं अब भी सुंदर महसूस करता हूं। बहुत से लोग वास्तव में मेरे प्रति सच्ची मित्रता दिखाते हैं।’’
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