गोगरा व हॉट स्प्रिंग से सेना पीछे हटाने में ना-नुकुर कर रहा चीन
चीन अप्रत्याशित तौर पर पूर्वी लद्दाख के गोगरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग से अपनी सेना हटाने में ना-नुकुर करने लगा है।
गोगरा व हॉट स्प्रिंग से सेना पीछे हटाने में ना-नुकुर कर रहा चीन |
हालांकि उसने इस बात पर सहमति जताई है कि सीमा पर शांति बहाली के लिए उसकी तरफ से बातचीत का सिलसिला जारी रहेगा। भारत ने भी राजनीतिक स्तर पर बातचीत करने की आवश्यकता जताई है।
दोनों सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की बैठक शुक्रवार को सुबह साढ़े 10 बजे से शुरू होकर देर रात साढ़े 11 बजे तक चली थी। बैठक में 20 फरवरी को हुई सहमति की समीक्षा की गई। 20 फरवरी की इस बैठक के बाद ही पेंगोंग त्सो झील के उत्तर में फिंगर-4 और दक्षिण क्षेत्र में रेजांगला से दोनों सेनाएं पीछे हट गई थीं।
11वें दौर की बैठक में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई, लेकिन सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इन क्षेत्रों से सेना हटाने के लिए चीन ने हामी नहीं भरी। चीन के इस रुख से दोनों सेनाओं के बीच सैनिकों की संख्या कम करने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होगी, क्योंकि पहली प्रक्रिया के तहत विवादित पोस्टों से सेनाओं को हटाने यानी डिस्इंगेजमेंट और दूसरी प्रक्रिया के तहत एलएसी से सैनिकों की संख्या में कमी करना था। दोनों तरफ अभी सैनिकों को जमावड़ा है।
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि इस संदर्भ में इस बात को प्रमुखता से रखा गया कि अन्य क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने से दोनों सैन्यबलों के बीच तनाव कम करने तथा शांति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा।
कोर कमांडर स्तर की 11 वें दौर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंतण्ररेखा (एलएसी) पर चुशूल सीमा चौकी पर भारतीय क्षेत्र में हुई। वार्ता पूर्वाह्न साढे दस बजे शुरू हुई और रात साढे 11 बजे खत्म हुई।
वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने की।
सेना ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंतण्ररेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने से संबंधित बाकी मुद्दों के समाधान को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों पक्षों ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार त्वरित तरीके से लंबित मुद्दों का समाधान करने की आवश्यकता पर सहमति जताई।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों पक्ष इस बात पर राजी थे कि अपने नेताओं से मार्गदर्शन एवं सहमति प्राप्त करना, संवाद जारी रखना तथा बाकी मुद्दों के यथाशीघ्र परस्पर स्वीकार्य हल की दिशा में काम करना अहम है।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘उन्होंने जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाये रखने, किसी भी नयी घटना को टालने और सीमा क्षेत्रों में संयुक्त रूप से स्थिरता बनाये रखने पर सहमत हुए।’’
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पैंगोंग झील के पास हुईंिहसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी। कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जतायी थी।
भारत इस बात पर बल देता रहा है कि देपसांग, हॉटस्प्रिंग, गोगरा समेत सभी लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के संपूर्ण संबंधों के लिए अनिवार्य है।
| Tweet |