स्वप्न दासगुप्ता ने राज्यसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा, TMC ने BJP प्रत्याशी बनाए जाने पर उठाया था सवाल

Last Updated 16 Mar 2021 02:07:32 PM IST

राज्यसभा के मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद मंगलवार को उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।


इससे पहले तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया था कि दासगुप्ता ने भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन किया है।    

दासगुप्ता अप्रैल, 2016 में राज्यसभा सदस्य बने था और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें तारकेर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।      

सूत्रों ने बताया कि उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया और कहा है कि इसे बुधवार से प्रभावी माना जाए।      

इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर दासगुप्ता ने कहा कि ’मैंने हमेशा कहा है कि नामांकन पत्र (पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए) दाखिल करने से पहले जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, वे उठाए जाएंगे।’’      

राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल अप्रैल 2022 तक था।      

तृणमूल सदस्य मोहुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर आरोप लगाया था कि दासगुप्ता बंगाल चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की 10 वीं अनुसूची के अनुसार, अगर कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के छह महीने के बाद किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होते हैं तो उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।       

मोइत्रा के अनुसार, ‘‘दासगुप्ता ने अप्रैल 2016 को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली थी.. भाजपा में शामिल होने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।’’    

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि आज भी राज्यसभा की वेबसाइट पर दासगुप्ता को मनोनीत सदस्य बताया जा रहा है।    

मोइत्रा ने कहा कि दासगुप्ता को या तो राज्यसभा से इस्तीफा देना चाहिए या उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि उनके पास कोई ‘‘सेफ्टी नेट’’ नहीं है।      

संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, अनुच्छेद 99 या 188 के प्रावधानों (जो भी लागू हों) को पूरा करने के बाद मनोनीत सदस्य अपने शपथग्रहण के बाद से छह महीने का समय समाप्त होने के पहले किसी राजनीतिक दल से जुड़ सकता है।       

नियम में आगे कहा गया है कि अनुच्छेद 99 या 188 के प्रावधानों (जो भी लागू हों) को पूरा करने के बाद सदन के लिए मनोनीत सदस्य अपने शपथग्रहण के बाद से छह महीने का समय समाप्त होने के बाद किसी राजनीतिक दल से जुड़ता है तो वह सदन की सदस्यता के अयोग्य होगा। 

इस बीच दासगुप्ता ने एक ट्वीट कर कहा, ‘‘ मैंने बेहतर बंगाल की लड़ाई में अपने आप को समर्पित करने के लिए राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।’’      
 

भाषा
नई दिल्ली


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