राज्यसभा में गूंजा बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा, राहुल गांधी बोले- सरकार ‘लाभ’ का निजीकरण कर रही
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को संसद में गूंजा। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधा है।
सांकेतिक फोटो |
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे को उठाते हुए समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बयान देने की मांग की।
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से बैंकों का कामकाज ठप्प पड़ गया है और आम जनता से लेकर कोराबारी तक इससे परेशान हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘देश भर में लगभग 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं और इनकी एक लाख शाखाएं हैं। इनमें करीब 13 लाख लोग काम करते हैं और 75 करोड़ से ज्यादा खातेदार हैं। ये खातेदार भी बैंक के हितधारक हैं और उनके पूछे बगैर सरकार ने निजीकरण का फैसला कर लिया।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ‘‘गलत नीतियों और अंधाधुंध निजीकरण’’ के चलते आज यह स्थिति पैदा हुई है और उनक रोजी-रोटी पर भी संकट उत्पन्न हो गया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि वर्ष 2008 में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट आया था तब राष्ट्रीयकृत बैंकों के कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था संभली थी। उन्होंने कहा, ‘‘आज बैक कर्मचारी रास्तों पर बैठे हैं। हड़ताल कर रहे हैं। उनकी समस्या को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री को यहां बयान देना चाहिए।’’
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ‘सांठगांठ वाले पूंजीपतियों’ (क्रोनी) के हाथों में बेचना देश की वित्तीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा।
राहुल गांधी ने हड़ताल करने वाले बैंक कर्मचारियों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए यह दावा भी किया कि सरकार ‘लाभ का निजीकरण’ और ‘नुकसान का राष्ट्रीयकरण’ कर रही है।
कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, ‘‘केंद्र सरकार लाभ का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को क्रोनी के हाथों में बेचना भारत की वित्तीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा।’’
केंद्र सरकार लाभ का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 16, 2021
सरकारी बैंक मोदी मित्रों को बेचना भारत की वित्तीय सुरक्षा से खिलवाड़ है।
मैं हड़ताल कर रहे बैंक कर्मचारियों के साथ हूँ।#BankStrike
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल में भाग लेने वाले 10 लाख बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ एकजुटता से खड़े हैं।"
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू), जो नौ बैंक यूनियनों की एक संस्था है, द्वारा आहूत हड़ताल मोदी सरकार की प्राथमिकताओं के खिलाफ है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों को निजी हाथों को बेचने का कोई औचित्य नहीं है - विदेशी या घरेलू। यह सरकार के 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक हताश प्रयास है।
कांग्रेस ने कहा कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उठाया गया एक साहसिक कदम था, जिसमें बैंकिंग को हर भारतीय के करीब लाना था। इसका मकसद बैंकों और ऋणों को उन लोगों तक ले जाना था, जो फाइनेंस से दूर थे। पीएसयू बैंक केवल लाभ कमाने वाले उद्यम नहीं हैं, वे सामाजिक सुधार के लिए भी उपयोग किए जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के दो और बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में सरकारी बैंकों की हड़ताल के पहले दिन बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ। हड़ताल के चलते सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नकदी निकासी, जमा, चेक समाशोधन और कारोबारी लेनदेन प्रभावित हुआ।
नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है। यूनियन का दावा है कि करीब 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट भाषण में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है। सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है। बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेची गई। इसके अलावा 14 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय भी किया गया है।
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