केंद्र से अलग राय रखना देशद्रोह नहीं
संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर दिए गए वक्तव्य के आधार पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला |
सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि केन्द्र सरकार से अलग राय रखना देशद्रोह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याची पर 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया।
जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि यह याचिका प्रचार पाने के लिए दायर की गई है। अदालत ने कहा कि सरकार की राय से भिन्न विचारों की
अभिव्यक्ति को राजद्रोह नहीं कहा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने पर अब्दुल्ला के बयान का उल्लेख किया गया था और दलील दी गई थी कि यह स्पष्ट रूप से राजद्रोह का मामला है और इसलिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए के तहत उन्हें दंडित किया जा सकता है।
याचिका रजत शर्मा और डॉ. नेह श्रीवास्तव ने दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री कश्मीर चीन को सौंपने की कोशिश कर रहे हैं इसलिए उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि अब्दुल्ला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत एक दंडनीय अपराध किया है। जैसा कि उन्होंने बयान दिया है कि अनुच्छेद 370 को बहाल कराने के लिए वह चीन की मदद लेंगे जो स्पष्ट रूप से राजद्रोह का कृत्य है और इसलिए उन्हें आईपीसी की धारा 124ए के तहत दंडित किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याची का इस मसले से कोई लेना-देना नहीं है।
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