साइड इफेक्ट्स 'सिद्धांत' कोविड टीकाकरण के लिए चुनौती
कोविड टीकाकरण के दूसरे दौर का पहला दिन निराशाजनक रहा और कई प्रमुख अस्पताल कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लेने वालो लाभार्थियों को आकर्षित करने में असफल रहे।
कोविड टीकाकरण के लिए चुनौती |
अभियान शनिवार को शुरू हुआ। 28 दिन पहले जिन लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी, उनमें से एक बड़ा वर्ग शनिवार को पूर्ण टीकाकरण के लिए नहीं पहुंचा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, केवल 7,688 लाभार्थी ही अपने दूसरे चरण के टीकाकरण के लिए बाहर निकले। हालांकि, 16 जनवरी को शुरू हुए कोविड टीकाकरण अभियान के पहले दिन 1.9 लाख से अधिक लोगों ने टीका प्राप्त किया था।
डॉक्टरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अपनी बातचीत के आधार पर कम उपस्थिति के पीछे कई संभावनाओं का अवलोकन किया।
दिल्ली में कोविड-19 टास्क फोर्स की सदस्य और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की सलाहकार डॉ. सुनीला गर्ग ने आईएएनएस को बताया कि दूसरी खुराक के लिए कम उपस्थिति की वजह पहली खुराक के बाद प्रतिकूल रिएक्शन हो सकती है।
उन्होंने कहा, "दूसरी खुराक से तेज दुष्प्रभाव पैदा होने की आशंका है। चूंकि स्वास्थ्य कर्मियों को इस तथ्य के बारे में पता है, इसलिए हो सकता है इसी वजह से वे बूस्टर खुराक के लिए आगे आने के लिए हतोत्साहित हो रहे हो।"
राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (आरजीएसएसएच) में कोविड वैक्सीनेशन के लिए नोडल अधिकारी और मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अजीत जैन ने गर्ग के साथ सहमति व्यक्त की और कहा कि अस्पताल में आंशिक रूप से प्रतिरक्षित ऐसे स्वास्थ्य सेवा स्टाफ की पर्याप्त संख्या है, जिन्हें लंबे समय तक इफेक्ट का सामना करना पड़ा, उन्होंने अपने बूस्टर डोज को छोड़ दिया है। पिछली खुराक लेने वाले केवल पांच लाभार्थियों ने शनिवार को अस्पताल में अपनी निर्धारित दूसरी खुराक प्राप्त की।
उन्होंने कहा, "कई लोगों को हल्के से मध्यम दर्जे तक प्रतिकूल इफेक्ट का सामना करना पड़ा। जबकि यह टीकाकरण के बाद स्वाभाविक है, लाभार्थी इसी वजह से दूसरा डोज लेने में संकोच कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "टीकाकरण के बाद तीन से चार दिनों तक बुखार, इंजेक्शन साइट पर दर्द, कमजोरी आदि जैसे दुष्प्रभाव कई हेल्थकेयर वर्कर्स ने महसूस किए। उनसे बातचीत करने पर पता चला कि वे फिर से साइड इफेक्ट का अनुभव नहीं करना चाहते हैं।
इस बीच, कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने टीकाकरण के प्रति उदासीनता की वजह इस धारणा को माना किमहामारी खत्म हो गई है। आरजीएसएसएच के निदेशक डॉ. बी.एल शेरवाल ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के बीच एक समझ यह विकसित हो गई है कि उन्हें टीकाकरण के लिए जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे मानते हैं कि महामारी अब खत्म हो गई है।
उन्होंने कहा, "कोविड-19 की स्थिति में साल 2020 के अंतिम महीनों की तुलना में जबरदस्त सुधार हुआ है, जहां राष्ट्रीय राजधानी में महामारी के मामले काफी बढ़ गए थे। हालांकि, इससे लोगों की मानसिकता प्रभावित हुई है। लोगों का यह मानना है कि अब जब महामारी खत्म हो गई है, तो टीकाकरण का दर्द क्यों उठाया जाए।
इस बीच, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने दो संभावनाएं बताईं, जिसकी वजह से लोग दोबारा टीकाकरण करवाने नहीं आ रहे।
उन्होंने कहा, "इसका एक कारण यह हो सकता है कि स्वास्थ्यकर्मी जानबूझकर बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए अपनी दूसरी खुराक में देरी कर रहे हैं, जो कि वैक्सीन की खुराक के बीच अधिक अंतराल से प्राप्त होता है। दूसरा कारण यह हो सकता है कि बहुत से लोगों का मानना है कि महामारी के खिलाफ सुरक्षा के लिए एकल खुराक ही काफी अच्छी है। दोनों तर्क वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हैं।"
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