विरोध के नाम पर कभी भी-कहीं भी नहीं बैठा जा सकता, सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग मामले में खारिज की पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग विरोध प्रदशर्न मामले में दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी।
शाहीन बाग विरोध प्रदशर्न मामला |
कोर्ट ने कहा कि कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक असहमति या प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरे लोगों के अधिकार प्रभावित हों।
फैसले में कोई कमी नहीं : न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, हमने समीक्षा याचिका पर गौर किया है। आस्त हैं कि जिस आदेश की समीक्षा करने की मांग की गई है उसमें पुनर्विचार किए जाने की जरूरत नहीं है।
कई माह चला था आंदोलन : दिल्ली के शाहीन बाग में दिसम्बर 2019 से मार्च 2020 के बीच सीएए के खिलाफ करीब 100 दिनों तक लोग सड़क जाम करके बैठे थे। दिल्ली को नोएडा और फरीदाबाद से जोड़ने वाले मार्ग को रोक दिए जाने से रोजाना हजारों लोगों को परेशानी हुई थी।
यह था मामला
शाहीन बाग निवासी कनीज फातिमा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने किसानों के प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा रुख को आधार बनाते हुए शाहीन बाग मामले को भी नए सिरे से देखे जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि विरोध प्रदशर्न के नाम पर सड़क को इस तरह से बाधित किया जा सकता है जिससे अन्य लोगों के अधिकार प्रभावित हों।
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