पीएम मोदी ने दिलाया विश्वास - एमएसपी थी, है और रहेगी, मेहरबानी कर देश में भ्रम न फैलाएं

Last Updated 08 Feb 2021 12:00:46 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि एमएसपी खत्म नहीं होने वाली है और मंडिया पहले से कहीं ज्यादा आधुनिक बनेंगी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘‘खुशहाल’’ बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढना चाहिए।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों पर ‘‘यू-टर्न’’ लेने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में ‘‘आंदोलनजीवियों’’ की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती।

उन्होंने कहा कि एक नया ‘‘एफडीआई’’ भी मैदान में आया है और यह है ‘‘फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी’’।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कहा कि जब देश में सुधार होते हैं तो उसका विरोध होता है। उन्होंने कहा कि जब देश में हरित क्रांति आई थी उस समय भी कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों का विरोध हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं। यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।’’

मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ ही विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। पक्ष, विपक्ष, आंदोलनरत साथियों को इन सुधारों को मौका देना चाहिए और एक बार देखना चाहिए कि इस परिवर्तन से हमें लाभ होता है कि नहीं। ऐसा तो नहीं है कि सब दरवाजे बंद कर दिए गए हैं।’’

प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी तथा इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है।

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एमएसपी था और एमएसपी रहेगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कानून में कुछ समय बाद सुधार होते रहे हैं और अच्छे सुझावों को स्वीकार करना तो लोकतंत्र की परंपरा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ आगे बढना चाहिए। मैं आप सब को निमंतण्रदेता हूं कि देश को आगे ले जाने के लिए साथ आएं। कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, देश को आगे ले जाना होगा।’’

मोदी ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं और अभी तक वार्ता में कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक दूसरे की बात को समझने, समझाने का प्रयास चल रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा देश है और जब भी कोई नई चीज आती है तो थोड़ा बहुत असमंजस होता है, हालांकि असमंजस की भी स्थिति थोड़ी देर ही होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्रांति के समय जब कृषि सुधार हुए, तब भी ऐसा हुआ था। आंदोलन हुए थे। लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे और कैबिनेट में भी विरोध के स्वर उठे थे। लेकिन शास्त्री जी आगे बढे। उन पर अमेरिका के इशारे पर चलने के आरोप लगे। कांग्रेस के नेताओं को अमेरिका का एजेंट तक करार दिया गया था।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमें आगे बढना होगा।’’

विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन को लेकर भरपूर चर्चा हुई तथा ज्यादा से ज्यादा समय जो बातें बताई गईं, वह आंदोलन के संबंध में थी।

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होता कि कानूनों की मूल भावना पर विस्तार से चर्चा होती।’’

मोदी ने कहा कि सरकारें किसी की भी रही हों, सभी कृषि सुधारों के पक्ष में रहीं लेकिन यह अलग बात है कि वे इन्हें लागू नहीं कर सकीं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं हैरान हूं कि आपने (कांग्रेस ने) अचानक यू-टर्न ले लिया। ऐसा क्यों किया? ठीक है आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को भी कहते कि भाई, बदलाव बहुत जरूरी हैं। बहुत साल हो गए। अब नयी चीजों को आगे लाना पड़ेगा। लेकिन मुझे लगता है राजनीति इतनी हावी हो जाती है कि अपने ही विचार पीछे छूट जाते हैं।’’

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक भाषण का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि वह भी किसानों को बाजार देने और ऐसे कृषि सुधारों के पक्ष में थे।

उन्होंने कहा, ‘‘जो मनमोहन सिंह ने कहा था, वही काम हम कर रहे हैं। आप लोगों को तो गर्व होना चाहिए कि मनमोहन सिंह ने जो कहा था, वह मोदी को करना पड़ रहा है।’’      प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल संसद में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं लेकिन अपने राज्यों में वे इनके किसी न किसी प्रावधान को लागू भी किए हुए हैं।

उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान किसी ने इन कानूनों की भावना पर चर्चा नहीं की बल्कि तरीके पर सवाल उठाए।

मोदी ने कहा कि देश में डेयरी उद्योग का योगदान कृषि अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य में 28 प्रतिशत से भी ज्यादा है लेकिन कृषि की चर्चा के दौरान इस पहलू को भुला दिया जाता है।

उन्होंने पूछा कि अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को पशुपालकों की तरह आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए?

प्रधानमंत्री ने कहा कि रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और कोई इससे इंकार नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा कि ऐसी समस्याओं के समाधान की ताकत भारत में है लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर और अशांत करना चाहते हैं।

मोदी ने कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ और जब 1984 के दंगे हुए तो सबसे ज्यादा पंजाब को भुगतना पड़ा।

उन्होंने कहा, ‘‘इन सारी चीजों ने देश को किसी न किसी रूप में बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसके पीछे कौन है, यह हर सरकार ने देखा है, जाना है। इसलिए हमें इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए आगे बढना चाहिए।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि सिख समुदाय ने देश के लिए जो किया, उस पर देश गर्व करता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग पंजाब के किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।

मोदी ने कहा कि देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है ‘‘आंदोलनजीवी’’।

उन्होंने कहा, ‘‘वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का। ये हर जगह नजर आएंगे। कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे। यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से एक नयी चीज एफडीआई के रूप में मैदान में आई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एफडीआई है ‘फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आईडियोलॉजी’। इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और जागरूक रहने की जरूरत है।’’

 

 

 

 

 

भाषा
नई दिल्ली


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