चीन ने शांति में डाली खलल : सरकार
सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के चीन की सेना के एकपक्षीय प्रयासों से क्षेत्र में शांति गंभीर रूप से बाधित हुई है।
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विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह भी जानकारी दी कि भारतीय सैन्य बलों ने इन प्रयासों का ‘समुचित’ जवाब दिया है और चीनी पक्ष को स्पष्ट रूप से यह बता दिया गया है कि इस प्रकार के एकपक्षीय प्रयास ‘अस्वीकार्य’ हैं। मुरलीधरन से चीन के साथ सीमा विवाद पर प्रश्न पूछा गया था। उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष बातचीत के जरिए एक साफ-सुथरा, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हैं कि सीमा मुद्दे का लंबित अंतिम समाधान निकाले जाने तक सीमाई इलाकों में शांति बनाए रखना द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी आधार है।
मुरलीधरन ने कहा ‘बहरहाल, अप्रैल, मई 2020 में चीन पक्ष ने पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के लिए कई बार एकतरफा प्रयास किए। इन प्रयासों का हमारे सैन्य बलों ने समुचित जवाब दिया है।’
उन्होंने कहा ‘चीनी पक्ष को यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि इस तरह के एकतरफा प्रयास अस्वीकार्य हैं। इन कार्रवाइयों से पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंतण्ररेखा पर शांति गंभीर रूप से बाधित हुई है।’ सरकार पूर्वी लद्दाख को अक्सर पश्चिमी सेक्टर कहती है।
मंत्री ने चीन के साथ भारत की बातचीत को ‘जटिल’ बताते हुए कहा ‘पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्ष अपने मतभेद कम करने पर तथा किसी भी मुद्दे पर मतभेद को विवाद न बनने देने के लिए सहमत हुए हैं।’ उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि उनके संबंधों की भावी दिशा एक दूसरे की विकास संबंधी महत्वाकांक्षाओं के लिए परस्पर सम्मान को ध्यान में रख कर तैयार की जानी चाहिए।
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को लेकर उन्होंने कहा ‘पिछले कुछ माह में हमने कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के साथ बातचीत की है ताकि संघर्ष के सभी ¨बदुओं से सैनिकों की वापसी एवं भारत-चीन सीमा इलाकों पर शांति सुनिश्चित हो सके।’ मुरलीधरन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनके चीनी समकक्ष वांग यी के साथ मास्को में 10 सितंबर को हुई बातचीत का भी संदर्भ दिया । उनके अनुसार, दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि सीमा क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है।
उन्होंने कहा ‘इसके बाद दोनों नेता इस बात पर भी सहमत हुए कि दोनों पक्षों के सीमा सैनिकों को बातचीत जारी रखनी चाहिए, सैनिकों की शीघ्र वापसी होनी चाहिए, समुचित दूरी बनाए रखना चाहिए और तनाव घटाना चाहिए।’ मुरलीधरन ने बताया कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार-विमर्श और समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र की छह बैठकें की हैं और वरिष्ठ कमांडरों की नौ बैठकें हुई हैं।
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