ट्रैक्टर परेड : पहले से ही थी हिंसा की आशंका
गणतंत्र दिवस पर किसानों के परेड के दौरान प्रशासन को हिंसा की आशंका पहले से ही थी। खुफिया विभाग को पंजाब और तराई क्षेत्र से दिल्ली पहुंचे शरारती तत्वों का इनपुट मिल चुका था।
लालकिले पर उग्र ट्रैक्टर परेड |
ये लोग लाल किले और लुटियन जोन पर कब्जे और हमले की तैयारी से आए थे। लेकिन सुरक्षा बालों की सख्ती से एक और जलियावालाबाग कांड की पुनरावृत्ति हो सकती थी। इसीलिए पुलिस ने उपद्रवियों के जानलेवा हमलों के बावजूद संयम से काम लिया। अब बजट सत्र के दौरान संसद घेरने की किसानों की चेतावनी पर पुलिस पहले से अधिक अलर्ट हो गई है।
नए कृषि कानूनों का विरोध की चिंगारी उठते ही यह संकेत मिलने लगा था कि इसके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है।
पंजाब और उत्तरप्रदेश के तराई इलाकों से आए तथाकथित किसानों की बहुतायत वाले धरनास्थलों पर शराब और कबाब की पार्टयिों के दौर और खालिस्तान समर्थकों की धमकी भरे बयान पर खामोशी से शुरू से ही बड़े बवाल की आशंका को जन्म दे रही थी। इसी बीच एनआईए की कार्रवाई ने भी साफ कर दिया कि आंदोलन की दिशा बदलने के लिए बाहरी मुल्कों से भी बड़े पैमाने पर फंडिंग हो रही है। एक आला अधिकारी ने बताया कि शाहीन बाग की तर्ज पर अराजकता को धार देने वाले वाले आंदोलन के नेताओं के नेतृत्व और राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए विरोधी दलों के समर्थन से हालात बिगड़ने की आशंका पुलिस को थी।
इसी के साथ पंजाब में राजनीतिक रूप से रसातल में पहुंचे कुछ राजनीतिक दल भी मौके का फायदा उठाते हुए केंद्र की भाजपा सरकार को कमजोर करने की दिशा में आगे बढ़ने लगे थे। इसी बीच गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड की घोषणा से साफ हो गया था कि अराजक तत्व राजधानी में हिंसा का षड्यंत्र रच रहे हैं, जिससे की अंतरराष्ट्रीय पटल पर देश की छवि खराब हो सके। सूत्रों के मुताबिक खुफिया तंत्र को इनपुट मिल चुका था कि ट्रैक्टर परेड की आड़ में खालिस्तान समर्थक अराजकता का नंगा नाच करेंगे। ये लोग लाल किले पर कब्जा करने के साथ लुटियन जोन में भी आतंक मचा सकते हैं। आला अधिकारी इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन रक्तपात की आशंका को देखते हुए सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी।
सरकार का मानना था कि इस कार्रवाई का खामियाजा उन किसानों को उठाना पड़ेगा, जो शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलनकारियों को रोकने की चेष्टा के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा भड़कने का खुफिया इनपुट मिल चुका था। पुलिस की कार्रवाई में बड़े पैमाने पर लोगों के मारे जाने की आशंका थी। यही वजह रही कि आतंक के नंगे नाच और जानलेवा हमलों के बावजूद पुलिस ने संयम का परिचय दिया।
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