पूर्वी लद्दाख: गतिरोध जल्द समाप्त करने पर सहमति
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को जल्द पीछे हटाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं और दोनों देशों ने स्थिति को स्थिर और नियंत्रित करने के लिए ‘प्रभावी प्रयास’ करने का संकल्प जताया है। यह जानकारी सोमवार को जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में दी गई।
पूर्वी लद्दाख: गतिरोध जल्द समाप्त करने पर सहमति |
रक्षा मंत्रालय की तरफ से यहां जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि बैठक सकारात्मक, व्यावहारिक और तर्कपूर्ण रही और जिससे परस्पर विश्वास और समझ बढ़ी है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन की तरफ मोल्दो में 16 घंटे तक चली वार्ता के बाद मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों पक्ष अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के धैर्य बनाए रखने, भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर में एलएसी के पास स्थिति को नियंत्रित करने और संयुक्त रूप से शांति एवं धैर्य बनाए रखने पर सहमत हुए।’ बयान में बताया गया कि वे कोर कमांडर स्तर की दसवें दौर की वार्ता करने पर भी सहमत हुए।
सैन्य सूत्रों ने कहा कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता रविवार सुबह करीब साढ़े दस बजे शुरू हुई और यह सोमवार तड़के करीब ढाई बजे खत्म हुई। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया। बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों पक्ष अपने देश के नेताओं के बीच बनी सहमति का पालन करने, वार्ता एवं समझौते की अच्छी गति को बनाए रखने और जल्द से जल्द कोर कमांडर स्तर की दसवें दौर की वार्ता शुरू करने पर सहमत हुए।’’
बातचीत के बारे में जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के तौर-तरीकों पर विस्तार से चर्चा हुई।’ सूत्रों के मुताबिक भारत ने जोर दिया कि क्षेत्र में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे ले जाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन पर है। भारत लगातार कहता रहा है कि तनाव कम करने की प्रक्रिया टकराव वाले सभी स्थानों पर एक साथ शुरू होनी चाहिए और हमें चुनिंदा रूख स्वीकार्य नहीं है।
सैन्य वार्ता में भारत पूर्वी लद्दाख के सभी इलाके में अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग कर रहा है। दोनों सेनाओं के बीच यह टकराव पिछले वर्ष पांच मई को शुरू हुआ था। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं। क्षेत्र में दोनों पक्षों की लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी है।
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