नहीं बदलेंगे समिति के सदस्य
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पूर्व में व्यक्त किए गए विचार के कारण किसी शख्स को उस मुद्दे से संबंधित समिति में रखा जा सकता है। विचार बदलते रहते हैं।
नहीं बदलेंगे समिति के सदस्य |
सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर गठित समिति के सदस्यों की नियुक्ति की पृष्ठभूमि में यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का इसलिए महत्व है कि नए कृषि कानूनों पर किसानों और केंद्र के बीच जारी गतिरोध का समाधान करने के लिए हाल में गठित समिति के कुछ सदस्य पहले इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कर चुके थे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और समिति के सदस्य भूपेन्द्र सिंह मान ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह चार सदस्यीय समिति से खुद को अलग कर रहे हैं।
एक अन्य मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस एल नागेर राव और विनीत सरन की बेंच ने कहा कि एक समिति गठित की गई है और अगर व्यक्ति ने मुद्दे पर पहले अपने विचार व्यक्त किए हैं, तो इसका यह मतलब नहीं है कि वह व्यक्ति समिति में नहीं रह सकता है। बेंच ने कहा कि समिति गठित करने के बारे में समझ की अजीब कमी है। बेंच आपराधिक मामलों की सुनवाई में खामियों से जुड़ी याचिका पर गौर कर रही थी, उस समय यह बात कही।
अदालत ने कहा कि समिति का सदस्य बनने से पहले किसी व्यक्ति का किसी मुद्दे पर कुछ विचार हो सकता है, लेकिन विचार बदल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को एक अंतरिम आदेश में नए कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।
किसानों के साथ बैठक 21 को
सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति 21 जनवरी को किसानों के साथ बैठक करेगी। समिति के सदस्य अनिल घनवट ने कहा कि जो किसान संगठन बात करने नहीं आ सकते, उनसे ऑनलाइन/वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संवाद किया जाएगा।
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