कानूनों का विकल्प दें किसान, कृषि मंत्री तोमर ने कहा, 19 जनवरी की वार्ता में छोड़ें हठधर्मिता
सरकार और किसानों के बीच टकराव बढ़ सकता है। कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर कृषि कानून रद्द करने से इनकार करते हुए कहा है कि देश के ज्यादातर किसान और कृषि विशेषज्ञ इसके पक्ष में हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (file photo) |
उन्होंने यह भी कहा कि 19 जनवरी की वार्ता में किसान कृषि कानून पर बिंदुवार चर्चा करें और यह बताएं कि कृषि कानून रद्द करने के सिवा वे और क्या चाहते हैं। इधर संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी को आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने का घोषणा करके अपने तेवर जाहिर कर दिए हैं।
स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने बताया, आउटर रिंग रोड़ पर तिरंगे के साथ शांतिपूर्ण ढंग से ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी। इस परेड के लिए पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी से बड़ी तादाद में ट्रैक्टर दिल्ली बुलाए गए हैं। हालांकि किसान नेताओं ने फिर स्पष्ट किया है कि गणतंत्र दिवस की परेड में वह किसी भी तरह का व्यावधान पैदा नहीं करेंगे।
किसान संगठन किसान नेताओं को मिले एनआईए के नोटिस से भड़के हुए हैं।
उन्होंने तय किया है कि कोई किसान नेता जांच एजेंसी के समक्ष पेश नहीं होगा। प्रमुख किसान नेता दर्शन पाल सिंह और हन्नान मुल्ला ने कहा है कि किसानों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों, ट्रांसपोर्टरों और किसान नेताओं को जांच एजेंसियां नोटिस भेजकर परेशान कर रही हैं।
उन्होंने कहा, किसान संगठन इसकी निंदा करते हैं और सरकार को अवगत कराना चाहते हैं कि इससे आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, कानून रद्द हुए बिना किसान अपने घर वापस नहीं जाएंगे। उन्होंने तो जोश में यह भी कहा कि अगर सरकार चाहे तो किसान 2024 तक पर प्रदर्शन को तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट समिति की बैठक 19 को
सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति 19 जनवरी को अपनी पहली बैठक करेगी। चार सदस्यीय समिति में अब तीन सदस्य ही रह गए हैं। समिति के सदस्य अनिल घनवट का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के मना करने के बाद भी उन्हें बातचीत के लिए बुलाया जाएगा। अगर वे नहीं आएंगे तो समिति उनके पास जाएगी। उन्होंने कहा, समिति राज्यवार किसान नेताओं से बात करेगी।
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