लोकतंत्र के लिए खतरा है कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग : आठवले

Last Updated 25 Dec 2020 11:29:53 PM IST

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा है कि कानून वापस लेना नामुमकिन है।


केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले

केंद्रीय राज्य मंत्री आठवले ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पंचलाइन देते हुए कहा- "कानून वापस लेना नहीं आसान, फिर क्यों कर रहे हो आंदोलन किसान।" केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने अपने एक बयान में कहा, "आने वाले बजट सेशन में कृषि कानूनों में कुछ सुधार हो सकता है। ऐसे में किसानों को सरकार के प्रस्ताव को मानकर आंदोलन खत्म करना चाहिए। मुझे लगता है कि तीनों कानून किसानों के भले के लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई राज्यों के किसानों के साथ बात करते हुए उनकी शंकाएं दूर की हैं।"

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया(ए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री रामदास आठवले ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि फिर प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कर दिया है कि किसानों को मजबूत करने और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार सत्ता में आई है। मोदी सरकार ज्यादा से ज्यादा किसानों के लिए कार्य कर रही है। वर्ष 2014 से लेकर 2020 तक ज्यादा से ज्यादा बजट किसानों के लिए दिया है।

रामदास आठवले ने कहा कि वर्ष 2013-14 में किसानों के लिए यूपीए सरकार में 21,900 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट था, लेकिन मोदी सरकार का 2020-21 का बजट 1 लाख 34 हजार 339 करोड़ रुपये का है।

केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा, "कृषि कानून वापस लेना नामुमकिन है। कानून वापस लेने की मांग लोकतंत्र में खतरा पैदा करने वाली है। कुछ नेता किसानों को गुमराह करने की बात कर रहे हैं। मैं आंदोलनरत किसानों निवेदन करना चाहता हूं कि ये काला कानून नहीं है। ये कानून किसानों की भलाई का कानून है। इसलिए आप लोग सरकार से बातकर आंदोलन को वापस लीजिए।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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