किसान यूनियन के नेता आज करेंगे बैठक, तय होगी आगे की रणनीति

Last Updated 22 Dec 2020 11:26:50 AM IST

केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की सीमाओं पर ठंड के कहर के बीच प्रदर्शन कर रहे किसान अपनी आगे की रणनीति तय करने के लिए मंगलवार को बैठक कर सकते हैं।


किसान यूनियन उनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने वाले कानून की मांग के लिए बिहार जैसे अन्य राज्यों से समर्थन हासिल करने की कोशिश में लगी हैं। हजारों किसान करीब चार सप्ताह से दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हैं।

किसानों ने सोमवार को विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर 11-11 लोगों के समूह में एक क्रमिक भूख हड़ताल भी की थी।

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो।

किसान यूनियन के तीनों कानून वापस लिए जाने की अपनी मांग पर डटे रहने के बाद नौ दिसम्बर को छठे दौर की बातचीत रद्द कर दी गई थी।

दिल्ली यातायात पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के मद्देनजर सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी और मंगेश बॉर्डर बंद हैं। लोगों से लामपुर, सफियाबाद सबोली और सिंघू स्कूल टोल टैक्स बार्डर से होकर वैकल्पिक मार्ग पर जाने को कहा गया है।

पुलिस ने बताया कि मुकरबा तथा जीटीके रोड से यातायात परिवर्तित किया गया है, इसलिए लोग आउटररिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर जाने से भी बचें।

उसने कहा कि हरियाणा जाने के लिए झाड़ोदा (वन सिंगल कैरिजवे), दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/ बजघेड़ा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर खुले हैं।

दिल्ली यातायात पुलिस के अनुसार टिकरी, ढांसा बॉर्डर भी यातायात के लिए बंद हैं। झटीकरा बॉर्डर केवल एक या दो-पहिया वाहन और राहगीरों के लिए खुला है।

उसने कहा कि चिल्ला बॉर्डर केवल दिल्ली से नोएडा जाने वाले लोगों के लिए खुला है। नोएडा से दिल्ली आने वाला मार्ग बंद है।

गाजीपुर बॉर्डर भी यातायात के लिए बंद है।

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित इन तीनों कृषि कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

भाषा
नयी दिल्ली


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