पीएम ने व्यापारियों की तरह किसानों को भी उत्पाद बेचने के विकल्प दिए तो इसमें गलत क्या है : अनुराग ठाकुर

Last Updated 18 Dec 2020 11:08:15 PM IST

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, जो हिमाचल प्रदेश से आते हैं, ने कहा है कि साल 2022 किसानों की आय दोगुना करने का वर्ष होगा।


केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने तीन कृषि कानूनों पर आईएएनएस से खुल कर बात की।

सवाल-कृषि और कृषि से संबंधित 3 विधेयक किस तरह किसानों की जिंदगी और खेती में सकारात्मक बदलाव लाएंगे?

उत्तर - गरीब हो, किसान हो, महिलाएं हो ये सभी आत्मनिर्भर भारत के मजबूत स्तंभ हैं। इस लिए इनका आत्मसम्मान और इनका आत्मगौरव ही आत्मनिर्भर भारत भारत की प्रेरणा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी अन्नदाता की आय दुगुनी करने, फसल का सही मूल्य दिलाने, कृषि को तकनीक से जोड़ने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं और इसके लिए मोदी सरकार तीन कृषि काननू लेकर आई है। किसान बिल के माध्यम से हम अन्नदाता की आय को दोगुनी करने के लिए कटिबद्ध हैं। किसान को उसकी उपज का 3 दिन में पैसा मिले, हमने ऐसा विधान किया है। देश के कृषि की दशा बदलने वाले दोनों विधेयक तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशंोधन के माध्यम से किसान भाइयों के दिन फिरने वाले हैं। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा, जिससे कि सान को अपनी पसंद के अनुसार उपज को बेचने का मौका मिलेगा। वैकल्पिक व्यापार चैनल उपलब्ध होने से किसान को लाभकारी मूल्य मिलेगा। अंतरराज्यीय व राज्य के भीतर भी व्यापार सरल-सुगम होगा। कृषि में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसान व व्यापारियों को अवसर मिलने से लेन-देन की लागत में कमी आएगी। मंडी के अंतर्गत व्यापार में कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, संस्करण यूनिट पर व्यापार के लिए अन्य चैनल का सृजन होगा। किसान के साथ प्रोसेसिस, नयी तकनीक, संगठित रिटेलर का एकीकरण होने से बिचौलिए दूर होंगे। इसी प्रकार, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक में कृषि करार विधान किया गया है, जो लाभकारी मूल्यों पर भावी कृषि उत्पाद व फार्म सेवाओं के लिए कृषि बजनेस फर्म, पोसेसर्स, एरीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं एवं नयी तकनीक के साथ किसान को जोड़ेगा। देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें अपनी उपज को बाजार में ले जाने और उसका अच्छा मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इन किसानों को अब खेत से ही उपज की गुणवत्ता जांच, लोडिग, व परिवहन की सुविधा मिल सकेगी।

सवाल-यदि यह काननू इतना ही अच्छा है तो फिर सदन से सड़क तक इसका विरोध क्यों?

उत्तर- 2022 मोदी सरकार के लिए अन्नदाता की आय दोगनुी करने का वर्ष है जबकि कांग्रेस और बाकी विपक्षी दल इसे चुनावी साल के रूप में देख रहे हैं। कांग्रेस और गिनती के दल सिर्फ किसान के नाम पर सियासत कर रहे हैं, लेकिन किसान भाई-बहन और किसान संगठन भी जागरूक है। भ्रम फैलाते हुए जो यह आशकां जताई जा रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त हो जाएगा, तो इस पर प्रधान मंत्री जी कह चुके हैं कि एमएसपी चलती रहेगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी सदन के माध्यम से देश को भरोसा दिला चुके हैं कि एमएसपी पूर्ववत की तरह जारी रहेगी तथा एमएसपी पर किसान अपनी उपज बेच सकेंगे। गृह मंत्री, कृषि मंत्री सबने किसानों से बातचीत करके उनकी सभी आशकांओं पर बातचीत कर उसे दूर करने का हरसंभव भरोसा दिया है। मोदी सरकार किसान से खुले मन से वार्ता कर रही है। एक भ्रम ये भी फैलाया गया है कि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो इस संबंध में यह स्पष्ट है कि मंडियां समाप्त नहीं होगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। साथ ही किसान को अन्य स्थानों पर खुली प्रतिस्पर्धा के जरिये उपज बेचने का विकल्प होगा। अगर मोदीजी ने व्यापारियों की तरह ही किसान को भी उत्पाद बेचने के लिए विकल्प उपलब्ध कराया है तो इसमें गलत क्या है। कांग्रेस जीएसटी लाना चाहती थी, नहीं ला पाई मगर उसे हम लेकर आए तो कांग्रेस उसका विरोध करने लगी। अब यह रवैया काग्रेस किसान बिल को लेकर अपना रही है। कांग्रेस ने जिस बात का जिक्र अपने घोषणा पत्र में किया था, मोदी सरकार ने उसे लागू करने का काम किया है। कांग्रेस तब झूठ बोल रही थी या अब, उसे ये साफ करना चाहिए।

सवाल- अभी एमएसपी के माध्यम से किसान को कितना भुगतान किया गया है और इससे किसान किस तरह हतोत्साहित हुए हैं, आगे एमएसपी रहेगी या जाएगी?

उत्तर- उत्पादन लागत का न्यूनतम डेढ़ गुना समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए बजट वर्ष 2018-19 में की गई घोषणा के अनुसार, सरकार ने वर्ष 2018-19 से कई फसलों पर एमएसपी में वृद्धि की थी, जिसमें औसत उत्पादन लागत के कम से कम 50 प्रतिशत लाभ की व्यवस्था है। मोटे अनाज, दलहन एवं खाद्य तेल की एमएसपी उच्चतर स्तर पर निर्धारित की गई है ताकि किसान को और अधिक दलहन, मोटे अनाज एवं खाद्य तेल के उत्पादन के लिए समाहित किया जा सके। इससे अधिकांश फसल की बुवाई में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। किसान को दलहन एवं तिलहन के लिए पिछले वर्ष में किए गए एमएसपी भुगतान 8,715 करोड़ का था। इस वर्ष कुल 14,120 करोड़ का भगुातान किया गया जिसमें 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यानि कि ढ़ाई गुना वृद्धि हुई, जिसमें पिछले वर्ष रबी सीजन के 8.7 एलएमटी की तुलना में इस वर्ष लॉकडाउन के होने के बाद भी 21.55 एलएमटी खरीद की गई। रबी-2020 के सीजन की 8 अगस्त तक 3.9 करोड़ एमटी गेहूं की खरीद की गई, जिसके लिए किसान को 75,000 करोड़ एमएसपी का भुगतान किया गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 3.4 करोड़ एमटी गेहूं की खरीद एमएसपी पर 63,000 करोड़ में की गई थी। इसके अतिरिक्त 1.32 करोड़ एमटी धान की खरीद 24,000 करोड़ का भुगतान करके की गई, जबकि पिछले वर्ष 0.86 करोड़ एमटी धान की खरीद 14,800 करोड़ के एमएसपी में क्रय की गई थी। रबी सीजन में 8 अगस्त 2020 तक गेहूं, धान, दलहन एवं तिलहन की कुल एमएसपी 1,13,290 करोड़ रु. का भुगतान किया गया जबकि पिछले वर्ष 86,805 करोड़ रू एमएसपी का भुगतान किया गया था। इस प्रकार, इस वर्ष 31 प्रतिशत ज्यादा एमएसपी का भुगतान किया गया। एमएसपी थी है और रहेगी, हम ना सिफ एमएसपी बढ़ा रहे हैं बल्कि एमएसपी पर अनाज की खरीद को भी बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस एमएसपी पर झूठ बोलकर किसान को बरगलाना बंद करे।

सवाल- नए बिल के अनुसार अब ठेका खेती के भी प्रावधान किए गए हैं। ऐसे में लघु व सीमांत किसान बड़ी कापोर्रेट कंपनियों से विवाद से कैसे निपटेंगे?

उत्तर - किसान अपनी इच्छा के अनुसार दाम तय करके उपज बेचेगा। किसान को अधिकतम 3 दिन के भीतर भुगतान होगा। किसी भी विवाद की स्थिति में लोकल एसडीएम 30 दिन के अंदर मामले का निपटारा करके अपनी रिपोर्ट लगाए, ऐसा प्रावधान इस काननू में मोदी जी ने किया है। प्रधानमंत्री जी ने किसान को संगठित करने के लिए देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह बनाने की योजना की शुरूआत की है। ये एफपीओ छोटे-छोटे किसान को समूह में जोड़कर उनके फसल को बाजार में उचित मूल्य दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे। छोटे-छोटे किसान, छोटे-छोटे व्यापारी को या अन्य कसी को भी अपनी मर्जी से माल बेच सकते हैं। किसी भी विवाद की स्थिति में किसान को कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। स्थानीय तौर पर ही विवाद के निपटारे की व्यवस्था होगी। विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि करार फसल का होगा, जमीन का नहीं।

सवाल- सरकारी खरीद कम होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे में भंडारण कम होने पर गरीब किसान खाद्यान योजनाओं का क्या होगा?

उत्तर- यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि सरकारी खरीद कम या बंद हो जाएगी। नए काननू में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है। सरकारी खरीद की अपनी एक अलग शासकीय व्यवस्था होती है। ऐसे में, सरकारी भंडारण कम होने और गरीबों के खाद्यान्न योजनाओं को लेकर बेवजह सवाल उठाना चिंताजनक है। एनडीए के कार्यकाल में एमएसपी पर गेहूं, धान, दलहन, तिलहन की सरकारी खरीद में वृद्धि हुई है।

सवाल-आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के तहत बड़ी कंपनियां भंडारण कर सकती है और फिर सप्लाई रोक कर बाद में मनमर्जी से रेट बढ़ा सकती है।

उत्तर- मैं फिर दोहराता हूं कि एक सीमा से ज्यादा का भंडारण बढ़ने पर सरकार के पास पहले की तरह नियंत्रण की सभी एजेंसियां मौजूद हैं।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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