कोविड-19 : असर नहीं छोड़ रही प्लाज्मा थेरेपी

Last Updated 07 Aug 2020 02:44:26 AM IST

कोरोना वायरस से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 रोगियों का इलाज किए जाने से भी मृत्यु दर में कमी नहीं आ रही है।


एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (file photo)

इलाज के इस तरीके के प्रभाव का आकलन करने के लिए एम्स में किए गए अंतरिम परीक्षण विश्लेषण में यह बात सामने आई है।

इस इलाज के तहत कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों के रक्त से एंडीबॉडीज लिया जाता है और कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज को चढ़ाया जाता है ताकि उसके रोग प्रतिरोधक प्रणाली को वायरस से लड़ने के लिए तुरंत मदद मिल सके।

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बृहस्पतिवार को बताया कि कोविड-19 के 30 रोगियों के बीच परीक्षण के दौरान प्लाज्मा थेरेपी का कोई ज्यादा फायदा नहीं नजर आया। उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान एक समूह को मानक सहयोग उपचार के साथ प्लाज्मा थेरेपी दी गई जबकि दूसरे समूह का मानक इलाज किया गया।

दोनों समूहों में मृत्यु दर एक समान रही और रोगियों की हालत में ज्यादा क्लीनिकल सुधार नहीं हुआ। डॉ. गुलेरिया ने बताया, ‘बहरहाल, यह केवल अंतरिम विश्लेषण है और हमें ज्यादा विस्तृत आकलन करने की जरूरत है कि किसी उप समूह को प्लाज्मा थेरेपी से फायदा होता है।’

उन्होंने कहा कि प्लाज्मा की भी सुरक्षा की जांच होनी चाहिए और इसमें पर्याप्त एंटीबॉडी होनी चाहिए जो कोविड-19 रोगियों के लिए उपयोगी हो। कोविड-19 पर बुधवार को तीसरे नेशनल क्लीनिकल ग्रैंड राउंड्स पर हुई परिचर्चा में प्लाज्मा थेरेपी का कोरोना वायरस से पीड़ित रोगियों पर होने वाले प्रभाव को लेकर चर्चा हुई।

वेबिनार में एम्स के मेडिसिन विभाग में अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. मोनीष सोनेजा ने कहा, ‘प्लाज्मा सुरक्षित है। जहां तक इसके प्रभाव की बात है तो हमें अब भी हरी झंडी नहीं मिली है। इसलिए क्लीनिकल उपयोग उचित है और राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के दायरे में है।’

 

भाषा
नई दिल्ली


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