CAA: कानून व्यवस्था की खातिर पेश की मिसाल
मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय बर्वे ने एक मिसाल पेश करते हुए नए नागरिकता संशोधन कानून के बारे में अपने ही अंदाज में आंदोलनरत लोगों को समझाया कि इससे किसी भारतीय नागरिक को कोई खतरा नहीं।
मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय बर्वे |
मुंबईवासियों को उन्होंने आश्वस्त किया कि इससे किसी को कोई तकलीफ नहीं होगी। इस संबंध में लोगों को गुमराह किया जा रहा है, फिर भी विरोध जताना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन संवैधानिक दायरे में होना चाहिए, तो ही अच्छा है।
बर्वे ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात कर सीएए पर उनके संदेहों को दूर किया। उन्होंने कहा कि उनके पास अपना जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, लेकिन वह भारत में पैदा हुए हैं और जब सवाल उठेंगे तो वह अपनी नागरिकता साबित कर देंगे। उन्होंने कहा कि एनआरसी के संदर्भ में नए नियम नहीं बने हैं। वैसे भी इससे बाहरियों को ही परेशानी होगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि जब इस कानून से मेरी नागरिकता को कोई खतरा नहीं है, तो भारत के मुसलमानों को कैसे कोई खतरा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हम सभी उन लोगों और उनकी पृष्ठभूमि से भली भांति वाकिफ हैं जो प्रदर्शन करने के लिए अनुमति मांग रहे हैं। लोगों को ऐसे किसी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से बचना चाहिए, जिसकी पुलिस प्रशासन से अनुमति नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग फसाद चाहते हैं तकलीफ चाहते हैं, लेकिन ऐसे लोगों को कामयाब नहीं होने देना है। 1992 में हमने बहुत कठिन समय झेला है अब ऐसा नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून पर यह छठा संशोधन है, जो लाया गया है। 1971 के युद्ध के बाद हजारों लोग बांग्लादेश से भारत आ गए थे। उत्तर पूर्व के राज्य इसकी वजह से बहुत ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं। एनआरसी को लेकर जो भी नियम बनाए जाएंगे, वह सबकी सहमति से बनेंगे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि जो भी इस देश का नागरिक है, वह इससे प्रभावित नहीं होगा। जो इस देश में पैदा हुए हैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। डिटेंशन सेंटर्स उन लोगों के लिए है, जो बाहर से आए हैं और अपने पासपोर्ट को फाड़कर यहां ड्रग्स के कारोबार में शामिल हैं। अथॉरिटी ऐसे लोगों को उनके देश भेज पाने में सक्षम नहीं है और इन्हीं लोगों के लिए डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग डोंगरी, पायधुनी के रास्ते रैली निकालने के लिए परमिशन मांगने हमारे पास आ रहे हैं। इनमें से कोई भी इन इलाकों का रहने वाला नहीं है। बच्चों के दिमाग में तुरंत संदेह घर कर जाता है कि उन्हें बेदखल कर दिया जाएगा। बच्चों को समझाने की जरूरत है। कुछ लोग इस देश में फसाद चाहते हैं। मुंबई में हम किसी को परेशान नहीं होने देंगे। हम पहले भारतीय हैं। हम लोकतांत्रिक तरीके से विरोध की अनुमति देंगे लेकिन यदि इसे लेकर हमारे मन में जरा भी संदेह होगा तो हम यह पहले सुनिश्चित करेंगे कि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति न पैदा हो।
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