जनरल रावत का बयान निंदनीय : माकपा
माकपा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को लेकर छात्रों द्वारा किए जा रहे विरोध की आलोचना करने संबंधी, सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत के बयान की निंदा करते हुये गुरुवार को कहा कि जनरल रावत ने अपनी वैधानिक सीमा से बाहर जाकर ऐसा बयान दिया है।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी(फाइल फोटो) |
उल्लेखनीय है कि जनरल रावत ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर कहा है कि यदि नेता छात्रों और जनता को आगजनी और हिंसा के लिए उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है। सेना प्रमुख ने यहां एक सम्मेलन में कहा कि नेता, जनता के बीच से ही उभरते हैं और नेता ऐसे नहीं होते हैं जो भीड़ को ‘गलत दिशा’ में ले जाएं।
माकपा पोलित ब्यूरो ने कहा, ‘‘जनरल रावत के इस बयान से स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार की स्थिति में कितनी गिरावट आ गयी है, जो बताती है कि सेना के शीर्ष पद पर आसीन व्यक्ति अपनी संस्थागत भूमिका की सीमाओं को किस प्रकार से लांघता है।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हम सेना का राजनीतिकरण कर पाकिस्तान के रास्ते पर नहीं जा रहे हैं ? लोकतांत्रिक आंदोलन के बारे में इससे पहले सेना के किसी शीर्ष अधिकारी द्वारा दिये गये ऐसे बयान का उदाहरण आजाद भारत के इतिहास में नहीं मिलता है।’’
पोलित ब्यूरो ने कहा कि सेना प्रमुख को अपने बयान के लिये देश से माफी मांगनी चाहिये। पार्टी ने सरकार से भी इस मामले में संज्ञान लेने की मांग की है।
इस बीच सभी वामदलों ने सीएए और एनआरसी के विरोध में आठ जनवरी को संयुक्त रूप से देशव्यापी हड़ताल आयोजित करने का भी फैसला किया है। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव डी राजा सहित अन्य वामदलों की ओर से जारी संयुक्त बयान में आठ जनवरी को पूरे देश में हड़ताल का आयोजन करने का आह्वान किया गया है।
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