महाराष्ट्र: रविशंकर प्रसाद बोले - फडणवीस को मिला था सरकार बनाने का जनादेश

Last Updated 23 Nov 2019 03:03:01 PM IST

महाराष्ट्र में सरकार गठन के संबंध में आलोचनाओं पर पलटवार करते हुए भाजपा ने शनिवार को शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन को चोर दरवाजे से देश की वित्तीय राजधानी पर कब्जा करने की साजिश बताया।


केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (फाइळ फोटो)

भाजपा ने कहा कि भाजपा के पास सरकार बनाने का चुनावी और नैतिक जनादेश है। 

भाजपा ने यह भी कहा कि देवेन्द्र फड़णवीस के नेतृत्व में अजित पवार के साथ नई युती (गठबंधन) और सरकार स्थायी और प्रमाणिक होगी।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा 'आज सुबह भाजपा और अजित पवार ने साथ आवेदन दिया कि हमारे पास बहुमत है।’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘ क्या शिवसेना और राकांपा का कोई आवेदन राज्यपाल के पास अब तक था ? ‘‘

शिवसेना पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने कहा कि कहा जा रहा है कि लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब शिवसेना स्वार्थ से प्रेरित होकर अपनी 30 साल पुरानी दोस्ती तोड़कर, अपनी विचारधारा की घोर विरोधी राकांपा और कांग्रेस का दामन थाम ले तो यह लोकतंत्र की हत्या नहीं है क्या ?       

शिवसेना, राकांपा, कांग्रेस के गठबंधन पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र देश का बड़ा राज्य है और मुम्बई देश की वित्तीय राजधानी ।’ चोर दरवाजे से देश की वित्तीय राजधानी पर कब्जा करने की साजिश थी ।’

प्रसाद ने जोर दिया कि हम प्रमाणिक, स्थायी और ईमानदार सरकार देंगे।      

प्रसाद ने कहा, ’ जो आदरणीय बाला साहब ठाकरे के आर्दशों को जीवित नहीं रख सके उनके विषय में कुछ नहीं कहना है।’     

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनका (बाला साहब) प्रमाणिक कांग्रेस विरोध जग जाहिर है, उनकी राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद और भारत की संस्कृति-संस्कार के प्रति समर्पण प्रमाणिक है । उन्होंने कहा, ’ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जनादेश भाजपा और शिवसेना गठबंधन को था और मुख्यमंत्री का मैनडेट (जनादेश) बड़ी पार्टी भाजपा और देवेंद्र फड़णवीस को था ।      प्रसाद ने कहा कि शरद पवार और कांग्रेस ने परिणाम के बाद बयान दिया था कि हमें विपक्ष में बैठने का जनमत मिला है। तो ये विपक्ष में बैठने का जनमत कुर्सी के लिए मैच फिक्सिंग कैसे हो गया था ?

भाजपा नेता ने कहा कि कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विरासत की बात कर रहे हैं, उनसे मैं बस इतना कहूंगा कि सत्ता के लिए अपने विचारों से समझौता करने वाले तो कम से कम छत्रपति शिवाजी की बात न करें। उन्होंने पूछा कि चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना किसके इशारे पर उग्र हो गई थी ?
 

 

भाषा
नयी दिल्ली


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