जनता की भलाई के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने पड़ते हैं: अमित शाह

Last Updated 17 Sep 2019 03:04:50 PM IST

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश की समस्याओं को सुलझाने के लिए कई बार कड़े फैसले लेने पड़ते हैं और इनसे कुछ समय के लिए परेशानी होती है लेकिन ये सब जनता की भलाई और देश के विकास को ध्यान में रख कर लिए जाते हैं।


केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

शाह ने मंगलवार को यहां अखिल भारतीय प्रबंधन परिसंघ (आइमा) के 46 वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्च में भारत की वैश्विक स्तर पर नयी पहचान बनी है और पूरा विश्व भारत की आवाज को सुनता है और उन्होंने एक नए भारत की कल्पना की है जो समृद्ध और हर तरह से सक्षम हो।

उन्होंने कहा कि आज मोदी का जन्मदिन है और हम सभी यही कामना करते हैं कि वह स्वस्थ रहें और लंबे समय तक देश का नेतृत्व करते रहें। शाह ने कहा कि आज ही के दिन सरदार पटेल ने हैदराबाद को निजाम के शासन से मुक्ति दिलाकर उसे भारतीय संघ का हिस्सा बनाकर अपनी दृढ़ नीति का परिचय दिया था और मोदी ने उन्हीं की तरह नए भारत की कल्पना की है और कुछ लक्ष्य भी तय किए हैं।

शाह ने कहा कि आज से पांच साल पहले भारत की स्थिति कुछ और थी और अब 2019 का भारत अपने आप में इतना सक्षम है कि अपनी सुरक्षा की खातिर सर्जिकल स्ट्राइक करके दुश्मनों में खौफ पैदा करने से भी पीछे नहीं हटता है और यह सब मोदी जी के नेतृत्व में ही संभव हो सका है।

शाह ने कहा, ‘‘2013 में देश की हालत क्या थी सबको पता है जब गठबंधन वाली एक लाचार सरकार के शासन काल में दुश्मन हमारे सैनिकों के सिर काटने से भी बाज नहीं आते थे और उस सरकार में एक प्रधानमंत्री थे लेकिन मंत्रिमंडल का हर मंत्री अपने आपको प्रधानमंत्री से कम नहीं मानता था। उस समय देश की आर्थिक हालत बहुत दयनीय थी और आंतरिक स्तर पर भी स्थिति खराब थी।’’

गृह मंत्री ने कहा कि मोदी हमेशा देश की जनता के कल्याण की बात सोचते हैं और यही कारण है कि 2014 में सत्ता में आते ही उन्होंने गरीब लोगों की बैंकिंग सेक्टर तक पहुंच बनाने के लिए जनधन योजना के तहत सभी के बैंक खाते खुलवाए और देश में 2013 के मात्र 58 प्रतिशत के मुकाबले इस समय 99.4 प्रतिशत लोगों के बैंक खाते हैं। यह सरकार गरीबों की हितैषी सरकार है और 2014 से पहले देश में गैस कनेक्शन 13 करोड़ थे जो अब बढ़कर 27 करोड़ हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी कठोर फैसले लेने में कभी नहीं हिचकिचाते हैं और इसका सबसे बड़ा उदाहरण जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति है। पांच अगस्त से लेकर अब तक कश्मीर में एक भी गोली नहीं चली है और न ही किसी व्यक्ति की मौत हुई है। इसके पीछे सरकार की दूरदर्शिता और फैसलों को कड़ाई से क्रियान्वित करने की नीति है।

शाह ने कहा कि मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें आठ देशों ने अपने उच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है और ऐसा गौरव किसी भी नेता को हासिल नहीं हुआ है लेकिन यह सम्मान मोदी जी का नहीं बल्कि देश की 130 करोड़ जनता का है।

उन्होंने कहा कि देश में पिछले तीस वर्षों से गठबंधन सरकारों का दौर चल रहा था और ये सरकारें कोई भी कड़ा फैसला करने में सक्षम नहीं थी लेकिन मोदी ने सत्ता में आते ही देश हित में फैसले लिए और ये हर क्षेत्र में लिए गए चाहे वह जीएसटी, नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हवाई हमले, तीन तलाक की समाप्ति, अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति है। जब देश में जीएसटी को लागू करने की बात की जा रही थी तो कई तरह की आशंकाएं भी थीं कि क्या यह सफल होगी या नहीं मगर इस योजना के लागू होने के बाद अब एक लाख करोड़ रूपए का राजस्व प्राप्त हुआ है।

उन्होंने कहा कि मोदी के सत्ता में आने से पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की कोई रक्षा और विदेश नीति नहीं होती थी और इनमें स्पष्टता का अभाव रहता था। लेकिन मोदी ने देश की सुरक्षा के लिए कड़ी सुरक्षा नीति बनाई और देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की और जरूरत पड़ने पर सर्जिकल स्ट्राइक की।

शाह ने कहा कि इस सब के बावजूद हम लोग गलतफहमी में नहीं जीते हैं और हम जनता के हितों के बारे में ही सोचते हैं। आर्थिक मोर्चे पर भी भारत ताकतवर बनकर उभर रहा है और अब हम तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं और 2024 से भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करना सरकार की प्राथमिकता है।

उन्होंने कहा कि 2024 तक देश के हर घर में बिजली उपलब्ध कराना, हर व्यक्ति को मकान, गैस कनेक्शन और बैंक खाते की सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। देश की आबादी इस समय 130 करोड़ है और कुछ लोगों को यह बोझ लग सकता है लेकिन सरकार इन्हें कीमती संसाधन मानती है और इस युवा जनशक्ति का लाभ उठाया जाना है। इसके लिए उद्योग जगत, एसौचेम, फिक्की और आइमा जैसी संस्थाओं को मिलकर नीति बनानी होगी कि इस युवा शक्ति का इस्तेमाल किस तरह किया जाए और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

 

वार्ता
नयी दिल्ली


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