लोकपाल के नवनियुक्त सदस्यों ने ली शपथ

Last Updated 27 Mar 2019 03:09:07 PM IST

भ्रष्टाचार निरोधी संस्था लोकपाल के नवनियुक्त सभी आठ सदस्यों ने बुधवार को शपथ ली। लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने इन्हें शपथ दिलाई।


लोकपाल के नवनियुक्त सभी आठ सदस्यों ने शपथ ली

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को देश के पहले लोकपाल के तौर पर न्यायमूर्ति घोष को शपथ दिलाई थी।      

विभिन्न उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी के अलावा छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने लोकपाल में न्यायिक सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण किया।      

सशस्त्र सीमा बल की पूर्व पहली महिला प्रमुख अर्चना रामसुंदरम, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन, पूर्व आईआरएस अधिकारी महेंद्रसिंह और गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी इंद्रजीत प्रसाद गौतम ने लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य के रूप में शपथ ली।      

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस शपथग्रहण के साथ ही अब कहा जा सकता है कि लोकपाल ने अब काम करना शुरू कर दिया है।      नियमों के अनुसार, लोकपाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्यों का प्रावधान है। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होने चाहिए।      

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्रसिंह, समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमरसिंह और छत्तीसगढ सरकार के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंह देव उपस्थित थे।      

सीबीआई के निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला इस समारोह में उपस्थित नहीं थे। खुफिया ब्यूरो के प्रमुख राजीव जैन, केंद्रीय सतर्कता आयोग के आयुक्त के वी चौधरी, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी इस शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मौजूद थे।      

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय चयन समिति ने लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों की सिफारिश की थी। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नियुक्तियों को मंजूरी दी थी।      

न्यायमूर्ति घोष (66) मई 2017 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए थे। जब लोकपाल अध्यक्ष के पद के लिए उनके नाम की घोषणा हुई तो वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य थे।      

कुछ श्रेणियों के लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति संबंधी लोकपाल कानून 2013 में पारित हुआ था।

    

नियमों के अनुसार, लोकपाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्यों का प्रावधान है। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होने चाहिए। लोकपाल के सदस्यों में 50 प्रतिशत अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक सदस्य और महिलाएं होनी चाहिए।

भाषा
नयी दिल्ली


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