एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए धैर्यपूर्ण वार्ता की जरूरत: चीन
चीन ने कहा कि एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए ‘‘धैर्यपूर्ण वार्ता’’ की जरूरत है, क्योंकि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों को इस समूह में शामिल करने की परंपरा नहीं है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) |
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का विरोध करते रहे चीन ने गुरूवार को कहा कि एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए ‘‘धैर्यपूर्ण वार्ता’’ की जरूरत है, क्योंकि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों को इस समूह में शामिल करने की परंपरा नहीं है।
चीन 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध इस आधार पर कर रहा है कि भारत ने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं। हालांकि, अमेरिका और रूस सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अन्य स्थायी सदस्यों ने भारत परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड को देखते हुए उसकी एनएसजी सदस्यता का समर्थन किया है।
चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। इन देशों ने परमाणु निरस्त्रीकरण, परमाणु अप्रसार और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए यहां अपनी दो बैठकें की हैं।
बैठकों के समापन के बाद मीडिया से बातचीत में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि सफल रहे सम्मेलन के अंत में सदस्य देशों के बीच एक अहम आम राय बनी कि वे अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे।
उन्होंने कहा कि एनपीटी को पूरी तरह लागू करने पर भी आम राय बनी।
यह पूछे जाने पर कि क्या एनएसजी में भारत के प्रवेश का मुद्दा भी इस बैठक में उठा, इस पर गेंग ने कहा, ‘‘पी5 (सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी) देश एनपीटी तंत्र को प्रभावी बनाए रखने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। वे मानते हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ है।’’
| Tweet |