अदालतों में न्यायाधीशों में महिलाएं भी हों 50%

Last Updated 28 Jan 2019 01:14:43 AM IST

आजादी के बाद से भारत के उच्चतम न्यायालय में केवल छह महिला न्यायाधीश नियुक्त किए जाने एवं अदालतों में महिला जजों की कम संख्या का हवाला देते हुए संसद की एक समिति ने सिफारिश की है कि कुल न्यायाधीशों में महिला न्यायाधीशों की संख्या करीब 50 प्रतिशत होनी चाहिए।


न्यायाधीशों में महिलाएं भी हों 50%

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2018 की स्थिति के अनुसार विभिन्न उच्च न्यायालयों में 73 महिला न्यायाधीश काम कर रही हैं जो प्रतिशतता के हिसाब से कामकाजी क्षमता का 10.89 प्रतिशत है। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 और 217 के तहत की जाती है जिसमें किसी जाति या व्यक्तियों के वर्ग के लिये आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आजादी के बाद से भारत के उच्चतम न्यायालय में केवल छह महिला न्यायाधीश नियुक्त की गईं और इसमें पहली नियुक्ति साल 1989 में हुई। ऐसे में समिति का मानना है कि उच्चतर न्यायपालिका की पीठ में समाज की संरचना और इसकी विविधता परिलक्षित होनी चाहिए।

समिति ने सिफारिश की है कि उच्च और अधीनस्थ दोनों न्यायपालिका में अधिक महिला न्यायाधीशों को शामिल करने के लिए उपयुक्त उपाय किए जाएं। समिति ने यह भी राय दी है कि जिस प्रकार का अतिरिक्त कोटा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में लागू किया जाता है, उस तरह की व्यवस्था पांच वर्षीय विधि कार्यक्रमों में दाखिले के लिए खास तौर पर राष्ट्रीय विधि विविद्यालयों में लागू की जानी चाहिए।
रिक्तियों पर चिंता जताई : संसदीय समिति ने उच्च न्यायालयों में बड़ी संख्या में रिक्तियों को लेकर भी चिंता व्यक्त की और इन्हें भरने को कहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 56 रिक्तियां, कर्नाटक उच्च न्यायालय में 38 रिक्तियां, कलकत्ता उच्च न्यायालय में 39, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में 35 , तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय में 30 और मुम्बई उच्च न्यायालय में 24 रिक्तियां हैं जो बहुत ज्यादा हैं।

भाषा
नई दिल्ली


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