Economic Survey 2025: केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्री सीतारमण ने संसद में पेश किया इकोनॉमिक सर्वे

Last Updated 31 Jan 2025 01:29:15 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा को लोकसभा में पेश किया। समीक्षा चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के आकलन के साथ देश के समक्ष चुनौतियों को बयां करती है।


आम बजट 2025-26 से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया कि दुनिया में बढ़ते संरक्षणवाद से बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य का आकलन करने के साथ एक दूरदर्शी रणनीतिक व्यापारिक रोडमैप विकसित की आवश्यकता है।  

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद निर्यात के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है। वित्त वर्ष 25 के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में देश ने (सेवाओं और वस्तुओं को मिलाकर) कुल 602.6 अरब डॉलर का निर्यात किया है, जो कि सालाना आधार पर 6 प्रतिशत अधिक है।

पेट्रोलियम और गेम एवं ज्वेलरी को छोड़कर सेवाओं और वस्तुओं के निर्यात की वृद्धि दर 10.4 प्रतिशत थी। इसी अवधि के दौरान कुल आयात 682.2 अरब डॉलर रहा है। घरेलू मांग में मजबूत वृद्धि के कारण इसमें 6.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

आर्थिक सर्वेक्षण में मुताबिक, ग्लोबल ट्रेंड और अपनी क्षमताओं का फायदा उठाते हुए, भारत अपनी विकास दर को बढ़ा सकता है और ग्लोबल ट्रेड में अपनी हिस्सेदारी में भी इजाफा कर सकता है। साथ ही अपनी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाने और ग्लोबल सप्लाई चेन में एकीकृत होने के लिए, देश को व्यापार से जुड़ी लागत को कम करने और निर्यात को अधिक सुविधाजनक बनाने पर फोकस करना चाहिए।

आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि पूंजी के मोर्चे पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वित्त वर्ष 25 में अब तक मिश्रित रुझान दिखाया है। हालांकि, वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और एफपीआई की मुनाफावसूली के कारण पूंजी निकासी हुई है। हालांकि, मजबूत अर्थव्यवस्था और उच्च आर्थिक वृद्धि के कारण एफपीआई फ्लो सकारात्मक बनाए रखा है।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, दिसंबर 2024 के अंत तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 अरब डॉलर था, जो सितंबर 2024 तक देश के 711.8 अरब डॉलर के लगभग 90 प्रतिशत विदेशी कर्ज को कवर करने के लिए पर्याप्त था, जो बाहरी कमजोरियों के खिलाफ एक मजबूत बफर को दर्शाता है।

सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक अनिश्चित्ता के बीच भारत की जीडीपी 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।

आर्थिक समीक्षा 2024-25 की मुख्य बातें
शुक्रवार को संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2024-25 के मुख्य बिंदु ...
 

  • भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  • भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है, इसे संतुलित राजकोषीय सशक्तीकरण और स्थिर उपभोग का समर्थन प्राप्त है।
  • वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक, विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन और घरेलू बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी।
  • वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति का जोखिम बना हुआ है।
  • उच्च सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और बेहतर होती कारोबारी अपेक्षाओं से निवेश गतिविधि में तेजी आने की उम्मीद।
  • भारत को जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने की जरूरत है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 अरब डॉलर पर, जो 10.9 महीने के आयात और 90 प्रतिशत बाह्य ऋण को कवर करने के लिए पर्याप्त है।
  • कारोबारी सुगमता (ईओडीबी) 2.0 राज्य सरकार की अगुवाई वाली पहल होनी चाहिए, जो व्यवसाय करने में असुविधा की मूल समस्या को दूर करने पर केंद्रित हो।
  • भारत को निर्यात बढ़ाने और निवेश आकर्षित करने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए। ऐसा करने का एक तरीका यह है कि हम अपना पैमाना अपने अतीत के बजाय बाकी दुनिया के हिसाब से बनाएं।
  • भारत को उच्च वृद्धि के लिए अगले दो दशक में बुनियादी ढांचे में निवेश को निरंतर बढ़ाने की जरूरत है।
  • गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ ही राज्य अपने लोगों के लिए उचित स्तर की आय उत्पन्न करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र पर अपनी उच्च निर्भरता का लाभ उठाने में सक्षम हैं।
  • सेवा-उन्मुख भारतीय अर्थव्यवस्था स्वचालन के प्रति संवेदनशील है, भारत के आकार और अपेक्षाकृत कम प्रति व्यक्ति आय को देखते हुए कृत्रिम मेधा (एआई) का प्रभाव अधिक है।
  • कॉरपोरेट क्षेत्र को उच्च स्तर की सामाजिक जिम्मेदारी दिखानी होगी।

 

भाषा/आईएएनएस
नई दिल्ली


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