लोस-विस चुनाव एक साथ कठिन : प्रणब मुखर्जी
लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सवाल खड़ा किया है.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो) |
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक साथ लोकसभा और राज्यों की विधानसभा का चुनाव कराना कठिन है और कृत्रिम तरीके से लोकसभा और विधानसभा का चुनाव कराने की कोशिश करना राज्यों की जनता के मौलिक अधिकारों की मूल भावना का हनन होगा.
उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन भी गारंटी नहीं दे सकता कि राज्यों की निर्वाचित विधानसभा अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विधानसभा से उम्मीद होती है कि वो 5 साल का कार्यकाल पूरा करे लेकिन कोई भी कानून यह सुनिश्चित नहीं कर सकता.
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यों में राष्ट्रपति शासन का प्रावधान है लेकिन ये लोकतांत्रिक नहीं है. श्री मुखर्जी शुक्रवार को संसदीय लोकतंत्र की चुनौतियों पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे.
यह व्याख्यान डीटी लकड़ावाला मेमोरियल की ओर से आयोजित किया गया था. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा भी मौजूद थे. प्रणब ने सदन के सत्रों की दिनों की लगातार घटती संख्या पर भी चिंता जताई और सदन सत्रों की अवधि बढ़ाने की पुरजोर वकालत की.
उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कैबिनेट के अधिकार में है. गौरतलब है कि श्री मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में दिए गए अभिभाषण में एक साथ चुनाव पर रचनात्मक चर्चा की वकालत की थी.
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