फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट को अमल में लाने की तैयारी में सरकार, जारी कर सकती है अधिसूचना
सरकार निर्धारित अवधि का रोजगार यानी फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट को अमल में लाने वाली है. इसमें नियोक्ता हायर एंड फायर की तर्ज पर जब चाहे कर्मचारी या श्रमिक को निकाल सकेगा.
..तो कभी भी कर्मचारी को निकाल सकेंगी कंपनियां (फाइल फोटो) |
यही वजह है कि बृहस्पतिवार को श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट पर चर्चा के लिए श्रमिक संगठनों की बैठक बुलाई तो 10 श्रमिक संगठनों ने विरोध जताते हुए बैठक से वाकआउट किया. इसकी वजह से बैठक जल्द समाप्त हो गई.
सरकार ने कहा है कि फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट को लागू करने के लिए संसद में विधेयक लाने की जरूरत नहीं है, वो अधिसूचना निकालकर इसे अमली जामा पहनाएगी. वो यह भी कह रही है कि फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट कपड़ा उद्योग में लागू है और सफल है. संतोष गंगवार ने पूछने पर कहा कि फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट से कर्मचारियों और श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि(ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) समेत समस्त सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलने लगेगा.
उन्होंने कहा कि फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट को लेकर सरकार की असल मंशा यही है. मंत्री ने कहा कि कुछ काम निश्चित समयावधि (जो महीने और साल की भी हो सकती है) में पूरे होते हैं और जब उनके लिए कर्मचारी या श्रमिक रखे जाते हैं तो उन्हें स्थाई कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ नहीं दिए जाते. उन्होंने आस्त किया कि फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट लागू हो जाने पर ऐसे कर्मचारियों व श्रमिकों का पूरा रिकार्ड रखा जाएगा और उन्हें सभी लाभ मिलेंगे.
श्रम और रोजगार मंत्री ने कहा कि रोजगार अवधि की गारंटी पर भी विचार किया जा रहा है. मंत्री कुछ भी दलील दें पर फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट की वजह से स्थाई नौकरियों में कमी आएगी, इससे उनका मंत्रालय भी इनकार नहीं कर रहा है. इसके साथ-साथ कर्मचारियों के साथ हायर एंड फायर को बढ़ावा मिलने पर भी श्रम और रोजगार मंत्रालय के पास कोई दलील नहीं है. स्थाई कर्मचारियों पर लागू होने वाले ग्रेच्युटी व अन्य भुगतान फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट पर लागू नहीं होंगे.
स्थाई नौकरियों को खत्म करने की हरकत बताया : सभी श्रमिक संगठनों का मूल विरोध इसको लेकर है कि फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट स्थाई नौकरियों का विकल्प कैसे हो सकता है ? बीएमएस के महासचिव बृजेश उपाध्याय और एचएमएस के महासचिव एचएस सिद्धू का कहना है कि अगर स्थाई नौकरियों को समाप्त करने की छूट देने का इरादा है तो उसे हरगिज स्वीकार नहीं किया जा सकता.
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