डिजिटल स्पेस का दुरुपयोग रोकने के लिए साथ आएं सभी देश: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साइबर स्पेस को आतंकवाद और कट्टरपंथ का मैदान बनने के खतरे को रोकने के लिये दुनिया के देशों के बीच सूचना के आदान प्रदान और समन्वय स्थापित करने की अपील की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
उन्होंने कहा कि निजता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच बारीक संतुलन बनाया जा सकता है.
वैश्विक साइबर स्पेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरनेट अपने आप में समावेशी प्रकृति का है. लेकिन खुले और सुलभ इंटरनेट की खोज अक्सर खतरे को बुलावा देती है. वेबसाइट की हैकिंग और उसे विकृत बनाने की खबरें तो छोटी बात हैं. इनसे स्पष्ट होता है कि साइबर हमले एक बड़ा खतरा हैं विशेष तौर पर लोकतांत्रिक विश्व में. हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे समाज के संवेदनशील वर्ग साइबर अपराधियों के दुष्ट साजिशों के जाल में नहीं फंसें. हमें इसके लिये सजग रहने की जरूरत है.
मोदी ने कहा कि इसके लिए इस बात पर काफी ध्यान देने की जरूरत है कि साइबर खतरों से निपटने के वास्ते हमारे पास अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सक्षम पेशेवर हों.
उल्लेखनीय है कि इस साल मई और जून में वैश्विक स्तर पर साइबर हमले में 3,00,000 कम्प्यूटर प्रभावित हुए. इसके कारण बैंकों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कई प्रतिष्ठानों का कामकाज बाधित हुआ.
उन्होंने कहा कि हैकिंग शब्द ने आज रोमांचक रूप ले लिया है, हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि साइबर सुरक्षा हमारे युवाओं के कैरियर के लिये आकर्षक और व्यवहार्य विकल्प बने.
मोदी ने कहा कि इसी के साथ सभी देशों को यह जिम्मेदारी लेना सुनिश्चित करना चाहिए कि डिजिटल स्पेस आतंकवाद और कट्टरपंथ की अंधकारपूर्ण ताकतों का मैदान नहीं बनना चाहिए. सूचनाओं का आदान प्रदान और सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल इस खतरे के सतत रूप से बदलते स्वरूप से निपटने के लिये महत्वपूर्ण है.
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देशों को इस बात की जिम्मेदारी लेना सुनिश्चित करना चाहिए कि डिजिटल स्पेस आतंकवाद और कट्टरपंथ का मैदान नहीं बने. साइबर योद्धाओं को ऐसे साइबर हमलों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इस खतरे के सतत रूप से बदलते स्वरूप से निपटने के लिये सुरक्षा एजेंसियों के बीच सूचनाओं का आदान प्रदान और समन्वय करना जरूरी है.
दुनिया के अनेक देशों के प्रतिनिधियों और साइबर विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर एक तरफ हम निजता और खुलेपन के बीच बारीक संतुलन बनाने के साथ साथ दूसरी तरफ राष्ट्र की सुरक्षा मजबूत कर सकेंगे. इसके अलावा हम एकसाथ मिलकर वैश्विक और मुक्त व्यवस्था और हर देश से जुड़ी कानूनी जरूरतों के विषय पर हमारे मतभेदों को दूर कर सकेंगे.
मोदी ने कहा कि सरकार डिजिटल पहुंच के माध्यम से लोगों का सशक्तिकरण करने के लिए प्रतिबद्ध है और आधार की मदद से सब्सिडी को लक्षित लोगों तक बेहतर तरीके से पहुंचाने से दस अरब डालर की राशि बचाने में मदद मिली है.
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में जन धन बैंक अकाउंट, आधार प्लेटफार्म और मोबाइल माध्यम पर जोर दिया और कहा कि इससे भष्टाचार को कम कर पारदर्शिता लाने में मदद मिल रही है.
मोदी ने डिजिटल माध्यम और प्रौद्योगिकी की सराहना करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी हर बाधा को तोड़ती है. सरकार डिजिटल पहुंच के माध्यम से लोगों का सशक्तिकरण करने के लिए प्रतिबद्ध है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन का विषय टिकाऊ विकास के लिये सुरक्षित और समावेशी साइबर स्पेसहै जो मानवता से जुड़े महत्वपूर्ण परिसम्पत्तियों की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है. वैश्विक समुदाय को साइबर स्पेस की सुरक्षा के विषय से विश्वास और संकल्प के साथ निपटना चाहिए. साइबर स्पेस प्रौद्योगिकी को लोगों के सशक्तिकरण का वाहक बनना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी सबको समानता पर लाने की बड़ी क्षमता रखती है और इसने सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने, प्रशासन में सुधार और शिक्षा से ले कर स्वास्थ्य तक के क्षेत्र में कारगर मदद की है.
मोदी ने कहा कि सरकार डिजिटल पहुंच के माध्यम से लोगों का सशक्तिकरण करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि आधार की मदद से सब्सिडी को लक्षित लोगों तक बेहतर तरीके से पहुंचाने से दस अरब डालर की राशि बचाने में मदद मिली.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पिछले कुछ दशकों में साइबर स्पेस ने दुनिया में किस प्रकार से बदलाव लाने का काम किया है. हमसे पहले की पीढ़ी को बड़े बड़े मेनफ्रेम कम्प्यूटर प्रणआली का स्मरण होगा. इसके बाद से काफी चीजें बदल गई हैं. ई मेल और पर्सनल कम्प्यूटर से 90 के दशक में नई क्रांति आई. और इसके बाद मोबाइल फोन और सोशल मीडिया ने डाटा संग्रह और संचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया.
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी प्रतिभाओं को दुनियाभर में मान्यता मिली है. वैश्विक स्तर पर भारतीय आईटी कंपनियों ने नाम कमाया है.
उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में मुख्य रूप से साइबर फॉर डिजिटल इन्क्लूजन, साइबर फॉर इन्क्लूसिव ग्रोथ, साइबर फॉर सिक्योरिटी और साइबर फॉर डिप्लोमेसी पर चर्चा की जाएगी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर फ्रांस, जापान, इसाइल और ब्रिटेन सहित दुनिया के कई देश इसमें हिस्सा ले रहे हैं. इस सम्मेलन में श्रीलंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे भी हिस्सा ले रहे हैं.
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