अब मनरेगा श्रमिकों के खातों में सीधे जाएगी मजदूरी

Last Updated 06 Aug 2015 05:33:11 AM IST

केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा के तहत काम में लगे श्रमिकों को मजदूरी सीधे उनके खातों में जारी करने को मंजूरी प्रदान कर दी है.


अब मनरेगा श्रमिकों के खातों में सीधे जाएगी मजदूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने मनरेगा के बेहतर क्रि यान्वयन और राज्यों के बेहतर सशक्तिकरण के लिए इस योजना को मंजूरी दी.

योजना के तहत मनरेगा की मजदूरी राज्य रोजगार गारंटी कोष विंडो का इस्तेमाल करते हुए सीधे मजदूरों के खातों में जारी की जाएगी. यह राशि ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुरूप राज्य क्रि यान्वयन एजेंसियों की ओर से जारी किए जान वाले निधि हस्तांतरण आदेश के आधार पर जारी की जाएगी.

इस कदम का उद्देश्य निधि प्रवाह प्रणाली को और व्यवस्थित करना है और राज्य सरकारों या जमीनी स्तर की क्रियान्वयन एजेंसियों को इसके लिए सशक्त बनाना है कि वे कानून के उद्देश्यों के अनुरूप हितग्राही को इसे वितरित करें.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित प्रणाली से सभी हितधारकों को लाभ होगा और समग्र क्रि यान्वयन दक्षता में सुधार होगा और मजदूर इसे लेकर आस्त होंगे कि भुगतान आदेश जारी होने के दूसरे दिन उनके खाते में धनराशि आ जाएगी. इस योजना से धनराशि के हस्तांतरण में अधिक पारदर्शिता और मनरेगा में कम स्तर का भ्रष्टाचार सुनिश्चित होगा.

उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकारें क्रि यान्वन के लिए धनराशि के प्रबंधन की चिंता किये बिना योजना बनाने और प्रक्रिया दक्षता में अधिक समय लगा सकेंगी. इसके साथ ही केंद्र सरकार को यह लाभ होगा कि वह वही राशि जारी करेगी जो कि खर्च करने योग्य है. ग्राम पंचायतें भी इस बारे में सशक्त बनेंगी कि वे वही कार्य शुरू करेंगी जो मंजूर श्रम बजट के अनुरूप होगा.

बार से पदोन्नत हो हाईकोर्ट के जज नियुक्त होने वालों की पेंशन में विसंगतियां खत्म कीं

उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का पालन करते हुए बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने बार से पदोन्नत होकर उच्च न्यायालयों में नियुक्त किए जाने वाले न्यायाधीशों को मिलने वाली पेंशन सुविधाओं में विसंगतियों को खत्म करने पर मुहर लगा दी.

 बार से पदोन्नत किए जाने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पेंशन सुविधाओं के लिए वकील के तौर पर 10 साल की उनकी वकालत को एक योग्यता आधार के तौर पर माना जाएगा. पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायालय ने इस बाबत आदेश दिया था. कैबिनेट के फैसले से उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल हुआ है. कैबिनेट की बैठक के बाद उच्च-पदस्थ सूत्रों ने कहा, ‘हमने उच्चतम न्यायालय के आदेश को हूबहू स्वीकार कर लिया है.’

अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि बार से पदोन्नत होकर उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त होने वाले न्यायाधीशों की पेंशन के मामले में विसंगति दूर करने के लिए जो राहत दी जाएगी वह एक अप्रैल 2004 से लागू होगी. सूत्रों ने बताया कि नतीजतन सरकार अब संसद में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन एवं सेवा शर्तों से जुड़ा एक विधेयक लाएगी.

पी रामकृष्णन राजू बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष जो मुख्य प्रश्न उठा था वह यह था कि संविधान के अनुच्छेद 217 (2) (बी) के तहत नियुक्त होने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश क्या सेवानिवृति के बाद अपनी पेंशन सुविधाओं की खातिर अपनी सेवा में 10 साल और जोड़ने के हकदार हैं.



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