नोएडा एक्सटेंशन:किसानों से हुआ समझौता
नोएडा एक्सटेंशन के ज़्यादातर किसानों का ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के साथ समझौता हो गया है,इनमें पतवाड़ी, सादुल्लापुर, मिलक-लक्षी और बिसरख गांव के किसान शामिल हैं.
|
यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह, स्थानीय सांसद सुरेंद्र नागर की उपस्थिति में यह समझौता हुआ है. बातचीत में ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष मोहिंदर सिंह भी मौजूद थे.
समझौते के तहत किसान अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय से वह मामला वापस ले लेंगे जिसमें अदालत ने नोएडा एक्टेंशन में भूमि का अधिग्रहण रद्द कर दिया था. इससे नोएडा एक्सटेंशन में फ्लैट का सपना देखने वाले 20 हजार लोगों लिए उम्मीद की किरण जगी.
मुआवजे और अन्य मुद्दों को लेकर हुए इस समझौते के तहत पतवाड़ी के किसान अदालत से मामला वापस ले लेंगे.
सूत्रों का कहना है कि अकेले पतवाड़ी गांव में ही 17 बिल्डरों के प्रोजेक्ट हैं.
मुआवज़ा बढ़ा
किसान नेताओं का दावा है कि 550 रुपए प्रति वर्ग मीटर मुआवज़ा बढ़ाने पर बात बन गई है. सूत्रों ने बताया कि अथॉरिटी ने किसानों की बाकी बातें भी मान ली हैं.
मालूम हो कि इस ज़मीन के लिए अथॉरिटी ने 850 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से किसानों को मुआवज़ा दिया था. अब अगर यह समझौता फाइनल हो जाता है तो किसानों को मिलने वाला मुआवज़ा बढ़कर 1400 रुपए प्रति वर्ग मीटर हो जाएगा.
अन्य सुविधाएं
इसके अतिरिक्त किसानों को विकसित भूमि का अतिरिक्त दो प्रतिशत मिलेगा. नीति के तहत वे विकसित भूमि का छह प्रतिशत पाने के हकदार हैं, अब उन्हें विकसित भूमि का आठ प्रतिशत मिलेगा.
समझौते के तहत विकसित भूमि उस सेक्टर में दी जाएगी जहां पर 12 मीटर चौड़ी सड़क है. आबादी भूमि के संबंध में प्राधिकरण उसे उसी स्थिति में छोड़ने पर भी समहत हो गया है जैसी हालत में वह फिलहाल हैं और इसके लिए पट्टा वापस करने की आवश्यता नहीं है.
इस समझौते के तहत उनकी भूमि पर स्थापित होने वाले स्कूल और कॉलेजों में 10 प्रतिशत सीटें उनके बच्चों के लिए आरक्षित होगी. यह शर्त सभी संस्थानों पर बाध्यकारी होगी. वहां पर सेक्टरों के बराबर ही पक्की सड़कें, सीवर नेटवर्क और अन्य आधारभूत ढांचे का विकास किया जाएगा.
गौरतलब है कि पतवाड़ी गांव में कई बिल्डरों ने अपनी आवासीय परियोजनाएं शुरू की थीं और कई लोग इनमें बुकिंग भी करा चुके हैं.
इनमें से कुछ परियोजनाओं का काम शुरू हो चुका है और कुछ शुरुआती दौर में ही हैं. 2008 में प्राधिकरण ने पतवाड़ी गांव की 589 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर डेवलपरों को बेच दी थी.
पतवाड़ी और देवली की अधिग्रहीत जमीन पर मैसर्स अरिहंत कंस्ट्रक्शन, सुंदरम, निराला एस्टेट्स, पटेल टाउन और आम्रपाली जैसे कई बिल्डरों की आवासीय परियोजनाएं चल रही हैं.
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, 'भूमि अधिग्रहण आवासीय परियोजनाओं के लिए था, इसमें आपातकालीन स्थिति जैसी कोई बात नहीं थी. ऐसे में इस अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले पक्ष की सुनवाई किए बिना अधिग्रहण करने का कोई तुक नहीं बनता.उनकी सुनवाई के बाद उन्हें उचित मुआवजा मिलना चाहिए था.
उम्मीद जताई जा रही है कि इसके बाद अन्य गांवों के किसानों के साथ ही ऐसे ही समझौते किये जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक शाहबेरी गांव के लिए बाद में अलग से बातचीत करने की योजना है.
कोर्ट ने रद्द किया था आधिग्रहण
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गत 26 जुलाई को पतवाड़ी में भूमि अधिग्रहण रद्द कर दिया था. अदालत ने पुनरीक्षा याचिका के बाद इससे संबंधित मामलों को वृहद पीठ को सौंप दिया क्योंकि इसमें कई लोगों के हित जुड़े हुए थे.
यद्यपि अदालत ने प्रशासन को किसानों के साथ बातचीत की इजाजत दी थी ताकि 12 अगस्त से पहले तक अदालत के बाहर समझौता किया जा सके.
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि इस मामले में प्राधिकरण जनहित के नाम पर निजी बिल्डरों की मदद कर रहा था.
उच्चतम न्यायालय ने अधिग्रहण रद्द करते हुए किसानों को जमीन लौटाने और परियोजनाओं के ग्राहकों की रकम भी वापस करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा था.
Tweet |