चैती छठ: नहाय-खाय के साथ 4 दिवसीय महापर्व चैती छठ की हुई शुरुआत

Last Updated 16 Apr 2021 01:51:29 PM IST

वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के बीच लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया।


नहाय-खाय के साथ महापर्व चैतीछठ की हुई शुरुआत (file photo)

बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व शुरू हो गया है।

इस साल चैती छठ में श्रद्धालुओं में उत्साह भरा माहौल नहीं दिख रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई व्रतियों ने छठ पर्व करना रद्द कर दिया है। हालांकि कुछ लोग अपने घर पर रहकर ही चैती छठ मना रहे हैं।

बिहार में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष भी सरकार और प्रशासन ने पटना के घाटों-तलाबों में छठ अर्घ्य नहीं देने की हिदायत छठव्रतियों को दी है। उन्होंने लोगों से घर पर ही छठ व्रत मनाने की अपील की है।

चैती छठ के पहले दिन व्रती नर-नारियों ने नहाय-खाय के संकल्प के तहत स्नान करनेके बाद अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू किया।

महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु पूरे दिन बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और पकवान (ठेकुआ) से अर्घ्य अर्पित करते हैं।

महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं ।

भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।

परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है।

छठ पर्व में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
 

वार्ता
पटना


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