Nepal: पूर्व राजा पर भड़के PM ओली, कहा - दोषी पाए गए तो करना होगा सजा का सामना

Last Updated 01 Apr 2025 03:10:00 PM IST

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले राजशाही समर्थकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।


उन्होंने कहा कि 28 मार्च की हिंसा में दोषी पाए जाने पर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को भी नहीं बख्शा जाएगा।

स्थानीय मीडिया के अनुसार सोमवार को प्रतिनिधि सभा की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने एक वीडियो बयान के जरिए शाह पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने का आरोप लगाया।

ओली ने कहा कि पूर्व राजा समेत आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों को सजा से छूट नहीं दी जाएगी।

प्रधानमंत्री ने सवाल किया, "क्या सिंहासन वापस पाने की आकांक्षा रखने वालों को विरोध और उसके परिणामों पर अपनी स्थिति सार्वजनिक रूप से नहीं बतानी चाहिए?"

ओली ने संसद में कहा, "उन्हें (पूर्व राजा को) किसी भी तरह से सजा से छूट नहीं दी जाएगी। जो लोग वर्तमान व्यवस्था को उखाड़ फेंकने और राजशाही को दोबारा स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें 28 मार्च की घटनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। इन भयावह कृत्यों के दोषियों को कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा।"

संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के सांसदों को संविधान को खत्म करने से बचने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि वे चार्टर की रक्षा करने के लिए शपथबद्ध हैं।

इस बीच, ओली के भाषण ने संसद में आरपीपी के सांसदों के विरोध को भड़का दिया।

नेपाल के प्रमुख दैनिक 'काठमांडू पोस्ट' की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन ने 2008 में राजशाही के खात्मे के बाद से ही रिपब्लिकन पार्टियों पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद सदन की बैठक में बोलते हुए, आरपीपी नेता लिंगडेन ने चेतावनी दी कि अगर लोग चाहें तो रिपब्लिकन व्यवस्था को पलटा जा सकता है। उन्होंने कहा, "क्या दंगों के लिए केवल प्रदर्शनकारी ही जिम्मेदार थे? क्या स्थिति को नियंत्रण में लेना सरकार का कर्तव्य नहीं था?"

लिंगडेन ने आगे आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों ने छतों से एक्सपायर हो चुकी आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिससे तनाव और बढ़ गया। उन्होंने काठमांडू के टिंकुने में हुई घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग की।

इससे पहले, आरपीपी के दो नेताओं - वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा और महासचिव धवल सुमशेर राणा को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

काठमांडू जिला न्यायालय (केडीसी) ने दोनों नेताओं पर देशद्रोह का आरोप लगाया, जिसने उनकी रिमांड भी मंगलवार तक बढ़ा दी।

द हिमालयन की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने करीब 100 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन केवल 42 लोगों को ही अदालत में पेश किया गया और जांच जारी है।

राजधानी काठमांडू के कुछ इलाकों में तनाव बहुत अधिक है, क्योंकि सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं।

आईएएनएस
काठमांडू


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment