डॉलर की साख

Last Updated 23 Jan 2025 11:06:36 AM IST

अमेरिका में राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करते ही डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक तेवर नजर आने लगे हैं। उन्होंने धमकी दी कि ब्रिक्स समूह के देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर की बजाय किसी दूसरी मुद्रा को लाने के लिए कोई कदम उठाते हैं तो उन पर 100% शुल्क लगाएंगे।


डॉलर की साख

 ब्रिक्स देशों में भारत के साथ रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथोपिया, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और ईरान शामिल हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि न तो वे ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे। उनके रुख से शेयर बाजार गोता लगाते हुए सात महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ। डॉलर की निर्भरता को लेकर तमाम देश वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को लेकर सशंकित रहते हैं।

डॉलर पर निर्भरता से मुक्त होने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत लगातार स्थानीय मुद्राओं के प्रयोग की बात दोहराता रहा है। रूस पिछले ब्रिक्स सम्मेलन में स्पष्ट तौर पर कह चुका है कि डॉलर का प्रयोग हथियार के तौर पर हो रहा है। हालांकि ट्रंप ने अपने भाषण में किसी देश का नाम लिए बगैर चेतावनी दी है। वे अपने दूसरे कार्यकाल में पहले के मुकाबले ज्यादा आक्रामक हैं। अमेरिका फस्र्ट नीति को लेकर चुनावी भाषणों में ही उन्होंने तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। दुनिया जानती है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के इकोनॉमी को लेकर किए गए तमाम दावे भ्रामक और गलत पाए गए हैं जिसकी लगातार आलोचना होती रही है।

अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। मगर अंदेशा है कि ट्रंप की कुछ नीतियां पिछले राष्ट्रपति जो बाइडन से भिन्न हो सकती हैं। हालांकि ट्रंप पाकिस्तान को लेकर कड़ा रुख रखते हैं और उसे धोखेबाज और आतंकवादियों को पनाह देने वाला देश बताते रहे हैं जो भारत के पक्ष में जाता है। वह चीन के खिलाफ भी टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं जबकि वहां के राष्ट्रपति से उनकी करीबी बढ़ती दिख रही है जिसका असर भारत-जापान जैसे देशों पर पड़ सकता है।

चूंकि ट्रंप बड़े उद्योगपति हैं, इसलिए वे ट्रेड और निवेश को लेकर मुखर है। ट्रंप की नीतियों के प्रति राजनीतिक विश्लेषक पहले ही अंदेशा जता चुके हैं। अमेरिकी डॉलर की साख को वैश्विक आर्थिक बाजार में लगने वाला कोई भी झटका उनकी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती साबित हो सकता है। अर्थव्यवस्था के मसले में जो भी मुल्क मजबूत हो रहे हैं, वे सब अंकल सैम के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।



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