भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को दुबई में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के साथ बातचीत की। यह किसी भारतीय विदेश सचिव और तालिबान के किसी वरिष्ठ अधिकारी के बीच पहली आधिकारिक रूप से स्वीकृत बैठक थी। यह मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं।
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पाकिस्तान का कहना है कि उसके देश में हुए कई आतंकवादी हमले अफगान धरती से किए गए हैं। वह काबुल पर विशेष तौर से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को पनाह देने का आरोप लगा रहा है। वहीं अफगानिस्तान इस्लामबाद के तमाम आरोपों को खारिज करता रहा है।
इस सब के बीच दुबई में नई दिल्ली-तालिबान की बैठक इस्लामाबाद को टेंशन दे सकती है।
हाल ही के दिनों में यह दूसरा मौका जब नई दिल्ली-काबुल की नजदीकियों का संकेत मिला है। इस हफ्ते की शुरुआत में ही नई दिल्ली ने अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की हालिया एयर स्ट्राइक की निंदा की थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोमवार को कहा था, "हमने महिलाओं और बच्चों सहित अफगान नागरिकों पर हवाई हमलों की मीडिया रिपोर्टों पर ध्यान दिया है, जिसमें कई जानें चली गई हैं। हम निर्दोष नागरिकों पर किसी भी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं। अपनी आंतरिक नाकामियों के लिए अपने पड़ोसियों को दोषी ठहराना पाकिस्तान की पुरानी आदत है।।"
दुबई बैठक के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान को दी जा रही मानवीय मदद, द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। भारत ने अफगान लोगों को मानवीय और विकास सहायता प्रदान करना जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की गई। भारत अफगानिस्तान में स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भी अपना समर्थन देगा।"
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से बुधवार देर रात जारी बयान में कहा गया, "अफगानिस्तान की संतुलित और अर्थव्यवस्था-केंद्रित विदेश नीति के अनुरूप, इस्लामिक अमीरात का लक्ष्य एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक भागीदार के रूप में भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है।"
भारत ने आधिकारिक तौर पर तालिबान प्रशासन को मान्यता नहीं देती है। हालांकि, भारत उन कई देशों में से एक है, जिनका काबुल में व्यापार, सहायता और चिकित्सा सहायता को सुविधाजनक बनाने के लिए एक छोटा मिशन है और उसने तालिबान के शासन में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता भेजी है।
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