गाजा में युद्धविराम की मांग वाले यूएन प्रस्ताव पर अमेरिका का वीटो, फिलीस्तीन ने की वाशिंगटन की आलोचना

Last Updated 21 Nov 2024 01:10:41 PM IST

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव पर वीटो लगाने के लिए अमेरिका की निंदा की है, जिसमें युद्ध विराम और गाजा पट्टी में इजरायली आक्रमण को समाप्त करने का आह्वान किया गया था।


आधिकारिक फिलिस्तीनी समाचार एजेंसी वाफा द्वारा प्रकाशित एक वक्तव्य के अनुसार राष्ट्रपति कार्यालय ने बुधवार को कहा कि अमेरिका ने चौथी बार अपने वीटो का इस्तेमाल किया, जिससे इजरायल को अंतरराष्ट्री कानून और वैधता की अवहेलना करते हुए फिलिस्तीनी और लेबनानी लोगों के खिलाफ अपने अपराधों को जारी रखने का प्रोत्साहन मिला।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक वक्तव्य में इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया गया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन की मांगें स्पष्ट हैं। इन मांगों में आक्रामकता को रोकना, युद्धविराम लागू करना और रक्षाहीन फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजरायल के युद्ध अपराधों पर कार्रवाई करना शामिल है।

वक्तव्य में अंतराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आग्रह किया गया कि वह गाजा में हमलों, मानवीय संकट और भूखमरी को समाप्त कर फिलिस्तीनी लोगों की जिम्मेदारी संभाले।

फिलिस्तीनी प्राधिकरण के विदेश मामलों और प्रवासियों की राज्य मंत्री फार्सिन शाहीन ने अमेरिकी वीटो को अनुचित और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चुनौती माना।

शाहीन ने कहा कि क्षेत्र और दुनिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता लाना, अंतरराष्ट्रीय वैधता प्रस्तावों को लागू करने, फिलिस्तीनी क्षेत्र पर इजरायल के कब्जे को समाप्त करने और फिलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों को मान्यता देने पर निर्भर है।

हमास ने एक बयान में कहा कि वीटो का उपयोग करके, अमेरिका साबित करता है कि वह आक्रामकता में प्रत्यक्ष भागीदार है, जो बच्चों और महिलाओं की हत्या, गाजा में नागरिक जीवन को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार है।

अमेरिका ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस मसौदा प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया, जिसमें गाजा में तत्काल युद्ध विराम की मांग की गई थी।

परिषद के 10 गैर-स्थायी सदस्यों द्वारा प्रस्तुत मसौदे में तत्काल, बिना शर्त स्थायी युद्ध विराम के साथ-साथ सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की गई थी।

15 सदस्यीय परिषद ने प्रस्ताव के पक्ष में 14-1 से मतदान हुआ। अमेरिका ने इसे रोकने के लिए स्थायी परिषद सदस्य के रूप में अपने वीटो का इस्तेमाल किया।

आईएएनएस
रामल्लाह


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