यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता हो शांति समझौते का आधार
अस्सी देशों ने संयुक्त रूप से रविवार को आह्वान किया कि रूस के साथ युद्ध को समाप्त करने के लिए किसी भी शांति समझौते का आधार यूक्रेन की ‘क्षेत्रीय अखंडता’ हो।
यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता हो शांति समझौते का आधार |
स्विट्जरलैंड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शांति शिखर सम्मेलन में हालांकि कुछ प्रमुख विकासशील देश शामिल नहीं हुए। सम्मेलन का आयोजन स्विट्जरलैंड के बग्रेनस्टॉक रिसॉर्ट में किया गया था। रूस को सम्मेलन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।
सम्मेलन में मौजूद कई लोगों ने उम्मीद जताई कि रूस शांति की रूपरेखा पर चर्चा में शामिल हो सकता है। सम्मेलन में लगभग 100 प्रतिनिधिमंडल आए थे, जिनमें से ज्यादातर पश्चिमी देश थे। सम्मेलन में कुछ प्रमुख विकासशील देश भी शामिल हुए थे।
भारत, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त अरब अमीरात उन देशों में शामिल थे, जिनका प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रियों या दूतों ने किया था तथा इन्होंने अंतिम दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किये।
दस्तावेज में परमाणु सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और कैदियों के आदान-प्रदान के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। ब्राजील एक ‘पर्यवेक्षक’ देश है और इसने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे तुर्की ने हस्ताक्षर किए।
अंतिम दस्तावेज में कहा गया है कि यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति का माहौल बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के प्रति सम्मान आवश्यक है।
कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति वियोला एमर्हड ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ज्यादातर प्रतिभागियों ने अंतिम दस्तावेज को लेकर सहमति व्यक्त की है जिससे ‘‘पता चलता है कि कूटनीति के जरिये क्या हासिल किया जा सकता है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ‘शांति की दिशा में पहला कदम उठाये जाने’ की बैठक में सराहना की।
बैठक में ऐसे समय में युद्ध की ओर पुन: ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया, जब गाजा में संघर्ष, राष्ट्रीय चुनाव और अन्य चिंताओं ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। अंतिम वक्तव्य में परमाणु सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और कैदियों के आदान-प्रदान के तीन विषयों पर चर्चा की गई।
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