चीन की धमकी का ताइवान पर कोई असर नहीं
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन बुधवार को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैककार्थी से मुलाकात कर सकती हैं और इससे पहले जवाबी कार्रवाई की चीन की धमकी का ताइवान पर कोई असर नहीं दिखाई दिया है।
![]() चीन के दबाव में नहीं आया ताइवान |
ताइवान की राष्ट्रपति इंग-वेन लैटिन अमेरिका, बेलीज और ग्वाटेमाला में अपने बचे हुए कूटनीतिक सहयोगी देशों की यात्रा कर रही हैं। उनकी इस यात्रा में राजनीतिक रूप से सबसे संवेदनशील मुलाकात लॉस एंजिलिस में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव) के अध्यक्ष केविन मैककार्थी के साथ होगी।
ताइवान के लिए विदेशी समर्थन दर्शाने के लिहाज से यह यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ताइवान और अमेरिका के लिहाज से भी इस यात्रा के अलग मायने हैं क्योंकि चीन इस द्वीपीय देश को अपना हिस्सा मानता है और अमेरिका एवं ताइवान के अधिकारियों के बीच किसी भी बातचीत को अपनी संप्रभुता के लिए चुनौती के रूप में देखता है।
दुनियाभर में ताइवान के 13 औपचारिक सहयोगी देशों में से दो बेलीज और ग्वाटेमाला है। चीन के दबाव की वजह से उसके सहयोगी देशों की संख्या कम हो गयी है। चीन ने ताइवान को अलग-थलग करने के मकसद से आर्थिक निवेश भी किया है।
साई की लैटिन अमेरिका की यात्रा से एक सप्ताह पहले ही होंडुरास ने चीन के समर्थन में ताइवान के साथ संबंध तोड़ने की घोषणा की थी। इसकी एक प्रमुख वजह चीन की एक कंपनी द्वारा मध्य होंडुरास में 30 करोड़ डॉलर की लागत से जलविद्युत बांध परियोजना का निर्माण करना हो सकता है।
चीन ने पिछले सप्ताह और फिर सोमवार को चेतावनी दी थी कि साई की मैककार्थी से मुलाकात के प्रतिकूल परिणाम होंगे। लॉस एंजिलिस में चीन के वाणिज्य दूतावास ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि वह ताइवान के अधिकारियों और अमेरिका के बीच किसी भी प्रकार के संपर्क का विरोध करता है।
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