जलवायु पर चीन, भारत वास्तविक कदम उठाएं : अमेरिका
जलवायु पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा है कि चीन, भारत, रूस और जापान समेत विश्व के बड़े कार्बन उत्सर्जक देशों को ‘वास्तविक कदम उठाने’ एवं ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती के लिए शुरुआत करने की जरूरत है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी (file photo) |
केरी ने सभी देशों से आह्वान किया कि वे जलवायु परिवर्तन से लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाएं। उल्लेखनीय है कि केरी ने यह बात जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के लिए हुए पेरिस समझौते में अमेरिका की वापसी पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में कही, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी मौजूद थे।
केरी ने कहा, हमें जरूरत है कि अमेरिका और प्रत्येक देश प्रतिबद्ध हो कि वे वर्ष 2050 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते पर चलेंगे। यह कुछ ऐसा नहीं है जिसे देशों द्वारा केवल इच्छा व्यक्त करने और कहने से होगा कि ‘देखो, हम प्रतिबद्ध हैं। हम यहां पर है। हां, हम 2050 तक करेंगे।’ यह काम नहीं करेगा, इससे कटौती नहीं होगी। यह वह रास्ता नहीं हैं, जिसके साथ हम ग्लासगो जाना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन सीओपी26 इस साल नवम्बर में ग्लासगो में आयोजित किया जाएगा। सीओपी26 सम्मेलन पेरिस समझौते और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन मसौदा कानून के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कार्रवाई को गति देने में सभी पक्षों को साथ लाएगा। केरी ने कहा, एक देश के तौर पर ग्लासगो जाने पर उनके पास वास्तविक योजना होनी चाहिए जैसे आखिर हमें अब क्या करने की जरूरत है। अगले 10 साल में हम क्या कदम उठाएंगे? सच्चाई है कि यह सभी को करना है।
चीन दुनिया का सबसे बड़ा (कार्बन)उत्सर्जक है और उसे वर्ष 2020 से 2030 के प्रयास का हिस्सा बनने की जरूरत है। उन्होंने कहा, भारत को इसका हिस्सा होने की जरूरत है, रूस को हिस्सा होने की जरूरत है। इसी तरह जापान..और प्रमुख 17 उत्सर्जक देशों को वास्तव में कदम उठाने एवं उत्सर्जन को कम करने की शुरुआत करने की जरूरत है।
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