मानवाधिकार प्रमुख : भारत, पाक कश्मीरियों के अधिकारों का सम्मान करे

Last Updated 09 Sep 2019 05:56:48 PM IST

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने सोमवार को दोनों देशों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि कश्मीर के लोगों के मानवाधिकार का सम्मान और रक्षा की जाए।


संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट

भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के लिए अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के निर्णय के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ गया है। पाकिस्तान ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जतायी थी।     

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की उच्चायुक्त बैचलेट ने कहा कि उनके कार्यालय को नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ की मानवाधिकार स्थिति को लेकर रिपोर्ट मिल रही है।     

उन्होंने मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र के उद्घाटन भाषण में कहा, ‘‘मैं भारत सराकार के हाल के कदमों से कश्मीरियों के मानवाधिकार पर पड़े प्रभाव को लेकर अत्यंत चिंतित हूं जिसमें इंटरनेट संचार और शांतिपूर्ण सभा पर पाबंदी तथा स्थानीय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जाना शामिल है।’’     

उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत और पाकिस्तान की सरकारों से यह आग्रह करती हूं कि मानवाधिकारों का सम्मान और रक्षा हो। मैंने विशेष तौर पर भारत से आग्रह किया है कि वर्तमान पाबंदी या कर्फ्यू में ढील दे जिससे बुनियादी सेवाओं तक लोगों की पहुँच सुनिश्चित हो और यह कि हिरासत में लिये गए लोगों की सभी उचित प्रक्रिया वाले सभी अधिकारों का सम्मान हो।’’     

बैचलेट ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे किसी भी निर्णय की प्रक्रिया में कश्मीर के लोगों से मशविरा किया जाए और उन्हें शामिल किया जाए जिसका उनके भविष्य पर प्रभाव है।     

भारत ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करना उसका आंतरिक मामला था। भारत ने साथ ही ‘‘गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी’’ और भारत विरोधी एवं उसके आंतरिक मुद्दों पर उकसावे वाले बयान देने को लेकर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की है।      

बैचलेट ने यह भी कहा कि असम में हाल ही में राष्ट्रीय नागरिक पंजी के सत्यापन प्रक्रिया से काफी अनिश्चितता और चिंता उत्पन्न हुई है, जिसके तहत करीब 19 लाख लोगों को 31 अगस्त को प्रकाशित अंतिम सूची से बाहर कर दिया गया है।     

उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया कि अपील की प्रक्रिया के दौरान उचित नियमों का पालन हो, लोगों को वापस न भेजा जाए या हिरासत में नहीं लिया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि लोग राष्ट्र विहीन न हों।     

भारत का कहना है कि एनआरसी को अद्यतन करना भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चलायी जा रही एक वैधानिक, पारदर्शी, विधिक प्रक्रिया है। भारत सरकार ने यह भी कहा है कि एनआरसी से बाहर होने से असम के निवासी किसी व्यक्ति के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।   

 

विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह जारी एक बयान में कहा, ‘‘जिनका नाम अंतिम सूची में नहीं है, उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उन्हें अब तक मिल रहे वे सभी अधिकार मिलते रहेंगे जब तक कानून के तहत उन्हें मिले सभी विकल्प खत्म नहीं हो जाते। यह एनआरसी से बाहर हुए व्यक्ति को राष्ट्र विहीन नहीं बनाता।’’

भाषा
जिनेवा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment