लोक आस्था के पर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज मंगलवार 1 अप्रैल को चैत्र शुक्ल तृतीया उपरांत चतुर्थी के दिन 'नहाय-खाय' के साथ शुरू हो रहा है।

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इस पर्व के पहले दिन व्रती गंगा में स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। परंपरा के अनुसार, इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी, अरवा चावल और आंवला की चासनी का प्रसाद खास महत्व रखता है।
दूसरे दिन 2 अप्रैल को 'खरना' होगा, जिसमें व्रती दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को खाने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। धार्मिक मान्यता है कि खरना के प्रसाद में ईख का कच्चा रस और गुड़ का सेवन आंखों की पीड़ा को दूर करने के साथ तेजस्विता, निरोगिता और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है।
तीसरे दिन 3 अप्रैल को चैत्र शुक्ल षष्ठी पर रोहिणी नक्षत्र और आयुष्मान योग में व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। वहीं, चौथे दिन 4 अप्रैल को रवि योग के संयोग में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ यह महाव्रत संपन्न होगा। इस पर्व में सूर्य भगवान की उपासना कर परिवार की समृद्धि, सुख-शांति और स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान में प्रकृति और सूर्य की आराधना की जाती है। 1 अप्रैल को नहाय-खाय, 2 अप्रैल को खरना, 3 अप्रैल को सायंकालीन अर्घ्य और 4 अप्रैल को उदयकालीन अर्घ्य के साथ यह पर्व संपन्न होगा।
पटना की एक श्रद्धालु ने अपनी तैयारियों के बारे में बताया, "यह चार दिनों का त्योहार है। आज हमने छठ पूजा के लिए नहाय-खाय पूरा कर लिया है। हमने गंगा में स्नान किया और अब घर जाकर चावल, दाल और कद्दू की सब्जी बनाएंगे। यह पर्व हमारे लिए आस्था और परंपरा का प्रतीक है, जिसे हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।
उन्होंने कहा कि नहाय-खाय के दिन सात्विक भोजन का विशेष महत्व है, जिसमें चना दाल, कद्दू की सब्जी और अरवा चावल शामिल होते हैं। इस पर्व में सूर्य भगवान की उपासना के जरिए परिवार की समृद्धि और सुख-शांति की हम कामना करेंगे।
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