Lohri 2024 : हर साल लोहड़ी का त्यौहार लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इस पर्व पर लोग लोहड़ी की अग्नी में रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ और पॉपकॉर्न आदि डालते हैं और अग्नि भगवान से दुआ करते हैं कि फसल हमेशा हरीभरी रहे और घर का भंडार भरा रहे।
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इस साल 14 जनवरी 2024 को लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाएगा। तो चलिए आपको बताते हैं क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार और क्या है इसके पीछे की कहानी।
क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व
लोहड़ी शब्द तीन टुकड़ों को मिलाकर बना है, ल यानी लकड़ी, ओह यानी सूखे उपले और ड़ी यानी रेवड़ी। इन तीनों टुकड़ों को मिलाकर लोहड़ी बनता है। लोहड़ी के दिन पौष माह का अंत होता है और माघ माह की शुरुआत हो जाती है। पंजाब में लोग लोहड़ी को अपना नया साल भी मानते हैं। इस दिन ही वह अपनी नई फसल की पूजा करते हैं और गन्ने की कटाई की जाती है। लोहड़ी पौष मास की आखिरी रात को मनाई जाती है। लोहड़ी बनाने का एक कारण सूर्य और अग्नी देव का शुक्रिया करना भी है। यही कारण है कि लोहड़ी की शुभ अग्नी में रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ और पॉपकॉर्न आदि डाले जाते हैं। सूर्य और अग्नि देव से दुआ की जाती है कि हमारी फसल हमेशा हरीभरी रहे और घर का भंडार भरा रहे।
परंपरा और मान्यता
परंपरा के अनुसार गाँव के बच्चे लोहड़ी की अग्नि के लिए एक महीने पहले ही लकड़ी और उपले इकठ्ठा करने लगते हैं। इस दिन अग्नि में फसल, तिल, रेवड़ी, मूंगफली और गुड़ डालना काफी शुभ माना जाता है। मान्याताओं के अनुसार अग्नि में इन चीज़ों को डालने से इसका अंश देवताओं तक भी पहुँचता है।
दुल्ला भट्टी की मशहूर कहानी
लोहड़ी के साथ दुल्ला भट्टी की कहानी भी जुड़ी है। इतना ही नहीं लोहड़ी के लोक गीतों में भी दुल्ला भट्टी का ज़िक्र होता है। लोक-मान्यताओं के अनुसार दुल्ला भट्टी नामक एक व्यक्ति अकबर के शासनकाल के समय पंजाब में रहता है। दुल्ला भट्टी मुगलों की कैद से लड़कियों को रिहा करवाता था और परंपरागत तरीके से उनकी शादी भी कराता था। यही कारण है कि लोहड़ी के गीतों में उनका ज़िक्र आता है। इसी वजह से इस पर्व पर दुल्हा भट्टी की कहानी सुनाई जाती है।
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