Margashirsha Purnima 2023 : जानिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Margashirsha Purnima 2023: इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर को है। पूर्णिमा तिथि पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है। इस तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है, सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं।
Margashirsha Purnima 2023 |
Margashirsha Purnima 2023 : हिंदू धर्म में पूर्णिमा का दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा - पाठ करने से सारे दुखों का नाश होता है और सुख की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है और सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं। इस साल की आखिरी मार्गशीर्ष पूर्णिमा आज यानी कि 26 दिसंबर 2023 को है। आज के दिन भक्त लोग स्नान, ध्यान और दान करते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
Margashirsha Purnima 2023
कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा - Kab Hai Margashirsha Purnima
इस साल की आखिरी पूर्णिमा आज यानी कि 26 दिसंबर को है। यह पूर्णिमा बहुत ही महत्वपूर्ण है। हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष तिथि को यह पूर्णिमा पड़ती है इसलिए इसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की पूजा - अर्चना की जाती है। जिन लोगों का चंद्र कमज़ोर होता है वो इस दिन चंद्रमा की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूरे विधि - विधान से पूजा करने से चंद्र दोष मिट जाता है और दुखों का नाश होता है। मार्गशीर्ष पूर्णमा के दिन धार्मिक कार्य, पूजा - पाठ और दान किया जाता है। इस दिन भक्त गंगा घाटों पर स्नान करने जाते हैं, जिसे काफी शुभ माना जाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का महत्व - Margashirsha Purnima Ka Mahatva
यह व्रत काफी फलदायी माना गया है। उपवास रखने से भक्तों की सभी मनोकानाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने वाली महिलाओं को अच्छा जीवनसाथी मिलता है। भक्त सत्यनारायण भगवान और चंद्रमा की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा को ‘अमृत’ पेश किया गया था।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त – Margashirsha Purnima shubh muhurat
पूर्णिमा तिथि इस बार 26 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और समापन 27 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर होगी।
पूजा विधि - Margashirsha Purnima Puja Vidhi
इस दिन लोग गंगा, धार्मिल स्थल पर स्नान करते हैं। आप चाहें तो घर पर भी स्नान कर सकते हैं।
इसके बाद घर में भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें।
प्रतिमा को गंगाजल से साफ करें।
मूर्ती पर फूल, फल, माला, धूप, दीप, चंदन, हल्दी, मिठाई, अगरबत्ती आदि चीज़े अर्पित करें।
सत्यनारायण स्वामी की पूजा अर्चना करें।
ऊँ नमोः नारायण’ मंत्र का जाप करें और भगवान के नाम का ध्यान करें।
अब व्रत का संकल्प लें।
पूजा के बाद सफेद वस्त्र, खाने पीने की चीज़ें आदि गरीबों को दान ज़रूर करें।
इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
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