Kalashtami Vrat Katha : कालाष्टमी व्रत की पढ़ें कथा, काल भैरव दूर करेंगे सभी कष्ट
हिन्दी पंचाग के अनुसार भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा गया है। इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है
Kalashtami Vrat Katha |
Kalashtami Vrat 2023 : कालाष्टमी पर बाबा भैरवनाथ की पूजा की जाती है। भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि (Kalashtami 2023) का व्रत व पूजन करने से जातकों की सभी परेशानियां और संकट दूर होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कालाष्टमी के दिन व्रत करने से व्यक्ति भयमुक्त हो जाता है और उसके जीवन में आने वाले सभी संकट खत्म होते हैं। इस दिन (Kalashtami Vrat Katha) बाबा भैरवनाथ की पूजा - पाठ करने के बाद व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। माना जाता है कि इसे पढ़ने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कालाष्टमी व्रत कथा - Kalashtami Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है कि जब भगवान ब्रह्मा जी, श्री हरि विष्णु भगवान और भगवान महेश तीनों में श्रेष्ठता की लड़ाई चल रही थी। तब धीरे-धीरे इस बात पर बहस बढ़ती चली गई, जिसको कम करने के लिए सारे बड़े देवी - देवताओं को बुलाकर एक बैठक की गई। सभी देवताओं की मौजूदगी में हो रही इस बैठक में सबसे यही पूछा गया कि इनमें से सबसे श्रेष्ठ कौन है? सभी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए और उत्तर खोजा, लेकिन उस बात का समर्थन शंकर भगवान और भगवान श्री हरि विष्णु ने तो किया, लेकिन ब्रह्मा जी ने शिव जी को अपशब्द कह दिए।
इस बात पर शिव भक्ति महादेव को क्रोध आ गया। बताया जाता है कि शिव जी के इस क्रोध से उनके स्वरूप 'काल भैरव' का जन्म हुआ। शंकर जी के अवतार काल भैरव का वाहन काला कुत्ता माना जाता है। इनके एक हाथ में छड़ी है। आपको बता दें कि इस अवतार को ही ‘महाकालेश्वर’ के नाम से जाना जाता है इसलिए ही इन्हें दंडाधिपति भी कहा जाता है। कथा के अनुसार शंकर जी के इस रूप को देखकर सभी देवता घबरा गए थे। जिस दिन शिवजी ने रूद्र रूप धारण किया था उस दिन मार्गशीर्ष की दशमी अष्टमी थी और इसी कारण इसे 'कालाष्टमी' में के नाम से जाना गया है।
कालाष्टमी व्रत के मंत्र
ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
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