Ravivar Vrat Aarti : रविवार के दिन इस आरती को करने से सूर्य भगवान होंगे प्रसन्न, देंगे सुख-समृद्धि का आशिर्वाद
कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकि जोति विराजे || टेक || सात समुद्र जाके चरण बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम । कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम ।
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Ravivar Vrat Aarti : सनातन धर्म में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है। शास्त्रों में सूर्य को साक्षात् भगवान कहा गया है जो सुबह की पहली किरण के साथ पूरी दुनिया को प्रकाशमय कर देते हैं। रविवार व्रत का एक विशेष महत्व है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से मनुष्य के जीवन में आ रही सभी विपत्तियों का नाश होता है। इस व्रत को करने से सभी ग्रह शांत हो जाते हैं और शुभ प्रदान करना शुरू कर देते हैं। इस व्रत को पूर्ण निष्ठा के साथ करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पिता पुत्र के आपसी सम्बन्ध मजबूत होते हैं। नौकरी में दिन प्रतिदिन तरक्की मिलती है। यह व्रत आरोग्य, सौभाग्य और दीर्घायु देता है। यदि किसी का कोर्ट केस चल रहा हो तो उसमे विजय हासिल होती है। यह व्रत शत्रु पर विजय प्राप्त कराने वाला है। इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति के भी योग बनते हैं। नेत्र व्याधि, चर्म रोग, कुष्ठ रोग रविवार के व्रत से कोसों दूर भागते हैं। तो यहां पढ़िए रविवार व्रत की आरती
Ravivar Vrat Aarti - रविवार की आरती
कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकि जोति विराजे || टेक ||
सात समुद्र जाके चरण बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम ।
कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम ।
भार उठारह रोमावलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम ।
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा भयो नैवेघ धरे हो राम ।
अमित कोटि जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम ।
चार वेद जाके मुख की शोभा, कहा भयो ब्रहम वेद पढ़े हो राम ।
शिव सनकादिक आदि ब्रहमादिक, नारद मुनि जाको ध्यान धरें हो राम ।
हिम मंदार जाको पवन झकेरिं, कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम ।
लख चौरासी बन्दे छुड़ाये, केवल हरियश नामदेव गाये हो राम ।।
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